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CG NEWS: क्या विलुप्त हो जयेगा छत्तीसगढ़ का बोरे बासी?

रायपुर: नंदा जा ही का रे मीर अली मीर जी का गाना तो अपने सुना ही होगा ये गाना छत्तीसगढ़ की ख़त्म होते संस्कृति को देखते हुवे मीर अली मीर जी ने ये गाना लिखा था

इसी संस्कृति को ज़िंदा रखने के लिए पूर्व सीएम भाघेल ने मज़दूर दिवस के दिन बोरे बासी खाने का आएलन किया था पर बोरे बासी ठेठ देहाती पारंपरिक व्यंजन छत्तीसगढ़ प्रदेश के व्यंजन को राजनीति मुदा बाना लिया और इस व्यंजन पर ही राजनीति करने लगे…

छत्‍तीसगढ़ के ग्रामीण अंचलों में घर-घर में सुबह की शुरुआत प्रतिदिन बोरे बासी खाने से होती है। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक बोरे बासी का सेवन करते हैं। इस ठेठ देहाती पारंपरिक व्यंजन को प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर तक पहचान दिलाने में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अहम भूमिका निभाई।

गांव देहात से निकालकर इसे शहरों के रेस्टारेंट, होटलों में उपलब्ध कराने के लिए १ मई २०२२ मै मजदूर दिवस के दिन विशेष अभियान चलाया गया। अधिकारी, नेता, मंत्रियों ने भी जमीन पर बैठकर बोरे बासी का सेवन किया था।

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