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देखिये शराब पर सबसे ज्यादा टैक्स कहां वसूला जाता है? जिससे हजारों नहीं करोड़ों में होती है कमाई

Tax on Alcohol शराब को लेकर लोगों की अपनी-अपनी राय है. गुजरात, बिहार जैसे राज्य में शराब पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया है. वहीं, ज्यादातर राज्यों में शराब की बिक्री सालों से जारी है.






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Tax on Alcohol इसके पीछे की मुख्य वजह शराब पर लगने वाले टैक्स से राज्यों की कमाई है. शराब पर लगे टैक्स राज्यों की कमाई का सबसे अहम जरिया है. अगर कोई व्यक्ति शराब की एक बोतल खरीदता है तो उसमें आधे से ज्यादा पैसा टैक्स के रुप में सरकार के खजाने में चला जाता है.




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Tax on Alcohol बता दें कि पेट्रोल-डीजल की तरह शराब जीएसटी से बाहर है. इसलिए राज्य सरकारें अपने-अपने हिसाब से शराब पर टैक्स वसूलती है. राज्य एक्साइज ड्यूटी के नाम पर शराब बनाने और बेचने पर टैक्स लगाते हैं. कोई राज्य वैट के जरिए टैक्स वसूलता है. इसके अलावा शराब पर स्पेशल सेस, ट्रांस्पोर्ट फीस, लेबल और रजिस्ट्रेशन जैसे कई कर लगाए जाते हैं.











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Tax on Alcohol ज्यादातर राज्य शराब पर वैट या उत्पादन शुल्क या फिर दोनों ही लगाते हैं. इसको ऐसे समझिए अगर कोई व्यक्ति 1 लीटर शराब खरीदता है तो उसको 15 रुपये फिक्स एक्साइज ड्यूटी देनी होती है. वहीं, अगर एक शराब की बोतल की कीमत 100 रुपये है तो राज्य उसपर 10 प्रतिशत वैट लगाता है, तो कीमत बढ़कर 110 रुपये हो जाती है.

Tax on Alcohol भारत के 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शराब पर अलग-अलग तरीके से टैक्स लगाया जाता है. उदाहरण के लिए, गुजरात ने 1961 से अपने नागरिकों के शराब के सेवन पर प्रतिबंध लगा दिया था लेकिन विशेष लाइसेंस वाले बाहरी लोग अभी भी शराब खरीद सकते हैं.

Tax on Alcohol वहीं, पुडुचेरी को अपना अधिकांश राजस्व शराब के व्यापार से प्राप्त होता है. जबकि पंजाब ने चालू वित्त वर्ष में अपने उत्पाद शुल्क को नहीं बदलने का फैसला किया है. उसने अपने बिक्री कोटा में वृद्धि की है और अगले वित्त वर्ष में 7,000 करोड़ रुपये का राजस्व एकत्र करने की उम्मीद है. चालू वित्त वर्ष में राजस्व से 40 प्रतिशत अधिक है.

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