तीन ट्रेनों के बीच जोरदार टक्कर, एक भीषण हादसा और सैकड़ों जिंदगियों का सफर कुछ ही पल में पटरियों पर थम गया। रेल की पटरी पर चल रही ट्रेन कब मौत की मशीन बन गई, किसी को पता तक नहीं चल सका था। एक ही पल में एक जोर का झटका आया और 288 लोग के काल के गाल में समा गए। एक के ऊपर एक चढ़ी ट्रेन, चीख-पुकार और लाशों का अंबार, ये देखकर हर किसी का दिल बैठ गया होगा। चारों तरफ बिखरे पड़े ट्रेनों के डिब्बे और उखड़ी पड़ी पटरियां चीख चीखकर इस दर्दभरी दास्तां की कहानी बयां कर रही थीं। करीब 38 घंटे गुजर जाने के बाद भी पटरियों पर मौत के निशां बाकी हैं। सैकड़ों मौत के साथ देश में शोक की लहर है। (Balasore Train Accident)
इस रेल हादसे में कई घर उजड़ गए हैं। हादसे ने किसी का चिराग बुझा दिया, किसी ने पिता खो दिया, किसी का भाई चला गया तो कोई अनाथ हो गया। कुछ लोग हादसे में बच गए तो वो भगवान का शुक्रिया अदा कर रहे हैं। मुश्किल उन लोगों की है, जिनके परिजन अभी भी मिल नहीं पाए हैं। हादसे के बाद रोते, बिलखते और कुछ उम्मीद लिए लोग अपनों की तलाश कर रहे हैं। शहर-शहर, एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल ये लोग अपनों को ढूंढ रहे हैं। लोगों आस कर रहे हैं कि उन्हें उनके अपने मिल जाएं, भले वो घायल ही क्यों ना हों।
अस्पतालों में अपनी की तलाश कर रहे लोग
ओडिशा के अस्पतालों में अब भी कलेजा चीर देने वाला सन्नाटा पसरा हुआ। लोगों की मदद के लिए बालासोर अस्पताल में हेल्प डेस्क बनाए गए हैं, कोशिश लापता लोगों को उनके अपनों से मिलाने की है। हेल्प डेस्क के पास भारी तादाद में ऐसे कई लोग पहुंच रहे हैं, जो अपनों की खोज में दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन कुछ पता चल नहीं रहा है। ऐसे लोगों में तमिलनाडु के एक युवक भी है, जो अपनी भाई के लिए मारे-मारे फिर रहा है। इस युवक ने बताया कि वो अपने भाई की तलाश कर रहा है। उसका नाम सुमित है। हादसे के बाद मेरा भाई कहां है, कोई पता नहीं। मैं अभी तक अपने भाई का चेहरा नहीं देख पाया हूं। (Balasore Train Accident)
‘3 दिन से भूखा है, पर भाई नहीं मिला है’
अपने दुख बयां करते हुए युवक ने कहा कि वो भाई का फोटो लेकर एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भागे भागे फिर रहा है, लेकिन उसका कहीं पता नहीं है। मेरा भाई बिहार से आ रहा था, जो चेन्नई जा रहा था। उससे आखिरी बार बात दोपहर में 3 बजे बात हुई थी। उसके बाद से कोई पता नहीं है। परेशान और हताश इस युवक ने बताया कि उसके पास पैसा नहीं है, दो दिन से कुछ खाया नहीं है। बस मेरे भाई का चेहरा देखने को मिल जाए। सिर्फ यही नहीं, और भी ऐसे कई लोग हैं, जो अपनों की खोज कर रहे हैं।