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खैरागढ़ में तेंदुआ और शावक के दिखने से ग्रामीण लोगों में डर का माहौल…

खैरागढ़: खैरागढ़ ज़िला अपनी बायो डायवर्सिटी और जैव विविधताओं के लिए हमेशा ही आगे रहा है। दरसल खैरागढ़ और डोंगरगढ़ के जंगल महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश राज्य की सीमा से जुड़े हुए है। वन्य प्राणियो की चहल कदमी हमेशा से इन जंगलों में रही है।

ताजा मामला छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ जिले के छुईखदान क्षेत्र की जीवनदायनी रानी रश्मि देवी जलाशय के समीप जंगल में एक मादा तेंदुआ और एक शावक के दिखने से जहा एक ओर प्रकृति और वन्य पशु पक्षी प्रेमियों में उत्साह है तो वही नजदीकी ग्रामीण क्षेत्रों में डर का माहौल है।

लोगो ने वन विभाग से मादा तेंदुआ और उसके शावक पर सतत निगरानी रखने की मांग की है ताकि उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों से दूर जंगल में ही रखा जा सके। डैम घूमने गए श्यामपुर निवासी पिंटू सेन ने यह वीडियो अपने मोबाइल से बनाया है, ऐसे में डैम के पास पहुंचने वाले पर्यटकों को भी इस अनजाने खतरे का कभी भी शिकार होना पड़ सकता है.

बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के वन्य प्राणी विशेषज्ञ प्रतीक ठाकुर ने बताया की राजनांदगांव और खैरागढ़ जिले के डोंगरगढ़ ढारा रिजर्व फॉरेस्ट में बायोडायवर्सिटी वन्य प्राणियों के अनुकूल है और लगातार यहां पर वन्य प्राणियों की चहल कदमी देखी जाती हैं, विलुप्त होते वन्य प्राणियों के लिए वन विभाग को जाकरूकता अभियान चलाना चाहिए जिससे वनांचल क्षेत्र के ग्रामीणों में दहशत की जगह जाकरूकता आए….

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