स्कूल के छत के नीचे छाता लगाकर पढ़ाई कर रहे छात्र,क्लास में छतरी लगाकर पढ़ रहे बच्चे

मध्यप्रदेश के सिवनी जिले के आदिवासी विकासखंड खैरी कलां के शासकीय माध्यमिक शाला की तस्वीरें सामने आई हैं। इस स्कूल में बच्चे बारिश होने पर छाता लगाकर पढ़ाई करते हैं। क्लास में छाता लगाकर बैठे बच्चों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल है। इसके बाद सरकार की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। बदहाल स्कूल भवन का हाल यह है कि बरसात में छत से पानी टपकता रहता है, जिससे बच्चों को क्लास के अंदर ही छाता खोल कर पढ़ना पड़ता है.(seoni government school)
बच्चों के एक हाथ में छाता तो दूसरे हाथ में किताब होती है। जब तक बरसात होती है, तब तक बच्चों को छाता खोल कर इसी तरह से पढ़ाई करनी पड़ती है। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की मानें तो उन्हें इस जर्जर स्कूल में बैठकर पढ़ने में बहुत डर लगता है। बारिश के पानी से उनकी किताबें, कपड़े सब गीले हो जाते हैं। भविष्य बनाने की चाह में मजबूरन उन्हें रोज जान जोखिम में डालकर पढ़ना पड़ता है। यह हाल स्कूल का आज से नहीं बल्कि बीते कई दिनों से है लेकिन अभी तक किसी अधिकारी या प्रशासन ने यहां की सुध नहीं ली है।
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दरअसल, मध्यप्रदेश सरकार आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में स्कूलों को लेकर बड़े-बड़े दावे करते नजर आती है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। मामला सिवनी जिले के आदिवासी विकासखंड घंसौर का है, जहां बारिश ने शिक्षा विभाग के सारे दावों की पोल खोल दी है। खैरीकलां में मौजूद शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला के जर्जर भवन में एक नहीं बल्कि कई समस्याएं देखने को मिली है.
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छाता डालकर पढ़ाई करते हैं बच्चे
स्कूलों की हालत इतनी जर्जर है कि छात्र जान जोखिम में डालकर छाता लगाकर यहां पढ़ने को मजबूर है। यहां की छत और दीवारों की हालत बेहद खस्ता है। क्लास रूम भी ऐसा है, जहां छत से पानी ऐसे टपकता है मानो रिमझिम बारिश हो रही है। इस स्कूल में एक से कक्षा आठवीं तक की पढ़ाई जिन कमरों में होती है, उनकी स्थिति काफी जर्जर है.
एक सप्ताह तक रिसता रहता है पानी
बरसात के दिनों में एक दिन बारिश होने पर एक सप्ताह तक लगातार पानी रिसता रहता है। स्कूल भवन में खिड़की, दरवाजे भी जर्जर हैं। कहीं-कहीं तो पूरी खिड़की के दरवाजों को दीमक खा चुकी है। इतना ही नही बारिश के दिनों में करंट न फैले इसलिए क्लास रूम में बिजली की सप्लाई काट दी जाती है। वहीं, शिक्षा के क्षेत्र में तमाम दावे करने वाले जवाबदार अधिकारी बीआरसीसी ने इस जर्जर स्कूल की मरम्मत का प्रस्ताव जिला शिक्षा केंद्र को भेजने की बात कही है.