Buddha Purnima 2022-इंसान के अंदर ही शांति का वास होता है,उसे बाहर मत तलाशो,अपनी स्वयं की क्षमता से काम करो दूसरों पर निर्भर मत रहो-गौतम बुद्ध

बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों का एक प्रमुख त्यौहार है। यह बैसाख माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था, इसी दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और इसी दिन उनका महानिर्वाण भी हुआ था। 563 ई.पू. बैसाख मास की पूर्णिमा को बुद्ध का जन्म लुंबिनी, शाक्य में हुआ था। इस पूर्णिमा के दिन ही 483 ई. पू. में 80 वर्ष की आयु में ‘कुशनारा’ में में उनका महा परि निर्वाण हुआ था। वर्तमान समय का कुशीनगर ही उस समय ‘कुशनारा’ था।
श्रीलंका, म्यांमार, कंबोडिया, जावा, इंडोनेशिया, तिब्बत और मंगोलिया जैसे देश सांस्कृतिक उत्सव के माध्यम से बुद्ध जयंती के विशेष दिन को ‘वेसाक’ के रूप में मनाते हैं.(Buddha Purnima 2022)
जो ‘वैशाख’ शब्द का अपभ्रंश है।
इस दिन बौद्ध अनुयायी घरों में दीपक जलाए जाते हैं और फूलों से घरों को सजाते हैं। विश्व भर से बौद्ध धर्म के अनुयायी बोधगया आते हैं और प्रार्थनाएँ करते हैं। इस दिन बौद्ध धर्म ग्रंथों का पाठ किया जाता है। विहारों व घरों में बुद्ध की मूर्ति पर फल-फूल चढ़ाते हैं और दीपक जलाकर पूजा करते हैं। बोधिवृक्ष की भी पूजा की जाती है। उसकी शाखाओं को हार व रंगीन पताकाओं से सजाते हैं। वृक्ष के आसपास दीपक जलाकर इसकी जड़ों में दूध व सुगंधित पानी डाला जाता है। पूर्णिमा के दिन किए गए अच्छे कार्यों से पुण्य की प्राप्ति होती है। पिंजरों से पक्षियॊं को मुक्त करते हैं व गरीबों को भोजन व वस्त्र दान किए जाते हैं। दिल्ली स्थित बुद्ध संग्रहालय में इस दिन बुद्ध की अस्थियों को बाहर प्रदर्शित किया जाता है, जिससे कि बौद्ध धर्मावलंबी वहाँ आकर प्रार्थना कर सकें।
बुद्ध पूर्णिमा व्रत कथा
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पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के परम मित्र और भक्त सुदामा बेहद गरीब थे। उस समय उनकी पत्नी ने उन्हें अपने मित्र भगवान श्रीकृष्ण से सहायता मांगने की सलाह दी। इसके बाद सुदामा ने भगवान से एक बार पूछा- हे भगवान ऐसा कोई उपाय बताएं, जिसे करने से गरीबी दूर हो जाए और मानव का कल्याण हो। तब भगवान श्री कृष्ण ने सुदामा से कहा- हे ब्राह्मण जो भी व्यक्ति पूर्णिमा के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु जी की पूजा-आराधना और व्रत करता है, उसके जीवन से गरीबी जल्द दूर हो जाती है और उसके जीवन में मंगल का आगमन होता है। कालांतर में ब्राह्मण सुदामा ने पूर्णिमा का ही व्रत किया था, जिसके फलस्वरूप भगवान श्रीकृष्ण ने अपने मित्र की सहायता कर उनकी गरीबी दूर की थी।(Buddha Purnima 2022)
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