बिलासपुर: दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन मुख्यालय स्टेशन से सटे हुए स्टेशन गतौरा से पैसेंजर ट्रेन पकड़ना यात्रियों के लिए परेशानियों से भरा है। शहर से लगे इस पैसेंजर हाल्ट स्टेशन में यूं तो बहुत कम ट्रेनें रूकती हैं। लेकिन, यहां से चढ़ने वाले यात्रियों को कोल साइडिंग से उठने वाली धूल के कारण परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सोमवार सुबह 7: 47 बजे बिलासपुर गेवरारोड स्पेशल लोकल जब गतौरा पहुंची, तो प्लेटफार्म पर दूसरी ओर खड़ी मालगाड़ी में कोल लोडिंग की जा रही थी।
बड़ी मात्रा में कोल डस्ट उड़ रही थी। इस वजह से यात्रियों ने कपड़े से मुंह, कान – नाक ढंक रखा था। इसके बावजूद कोल डस्ट मुंह नाक के रास्ते उनके फेफड़ों में प्रविष्ट हो रही थी। बहुत से यात्री खांसते खांसते पूरे ट्रेन में चल रहे थे। इन यात्रियों ने बताया कि वे पिछले कई दशक से रोजाना इसी तरह प्रदूषित पर्यावरण के माहौल में ट्रेन में चढ़ते – उतरते रहे हैं। ना जाने कितने यात्रियों को इस प्रदूषण के चलते खांसी दमा श्वास लेने में तकलीफ जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रस्त होना पड़ा है।
इसकी शिकायत कई बार जोनल मुख्यालय के अधिकारियों से की गई लेकिन, रेलवे को क्षेत्र के लोगों की इस समस्या से कोई सरोकार नहीं है। कोल डस्ट के चलते प्लेटफार्म का यह हाल है कि यहां सन्नाटे जैसी स्थिति है। कोई भी खाने पीने की दुकान तक नहीं है। पीने के पानी तक में कोल डस्ट घुल रहा है। रेलवे की इस व्यवसायिक मानसिकता के चलते हो रहे वायु प्रदूषण और यात्रियों को की तकलीफ को देखते हुए रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव को कोल साइडिंग से उड़ रही धूल को अपने मोबाइल कैमरे से कैद कर ट्वीट के जरिए पीड़ा बताने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा है कि कोल लोडिंग का स्थान स्टेशन से दूर रखा जाना चाहिए। यदि रेलवे के लिए फिलहाल ऐसा संभव नहीं है तो प्लेटफार्म पर पानी के छिड़काव की व्यवस्था होनी चाहिए जिससे कि यात्रियों को तकलीफ ना हो। अब देखना यह होगा कि रेलवे आदेश पर अमल करती है या नहीं। या फिर यात्रियों इसी तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।