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बाड़ी विकास परियोजना के नाम से शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में गड़बड़ी, खड़े हुवे सवाल…

कोरबा: शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में बाड़ी विकास परियोजना के नाम से कराए गए कई कार्यो पर अब सवाल खड़े हो रहे हैं। सरकारी मशीनरी और एनजीओ के द्वारा इस प्रकार के काम कराए गए। खबर है कि इसके बहाने काफी नारे न्यारे किए गए हैं। यह मामला प्रशासन की जानकारी में लाने के साथ मांग की गई है कि आर्थिक गड़बड़ी की जांच करने के साथ संबंधित लोगों से रिकवरी कराई जानी चाहिए।

प्रशासन की जानकारी में इस बात को लाया गया है कि कोरबा जिले में रहने वाले राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र जो संरक्षित जनजाति समुदाय से आते हैं उनके क्षेत्र में बाड़ी विकास परियोजना से संबंधित काम कराए गए हैं और इनमें काफी धनराशि खर्च करने की बात प्रचारित की गई है। पहाड़ी कोरवा और अन्य समुदाय इसमें शामिल हैं जिन्हें लाभान्वित करने की बात की गई है।

लोक जनशक्ति पार्टी के जिलाध्यक्ष राज कुमार दुबे ने कोरबा जिला कलेक्टर को इस संबंध में विस्तृत जानकारी देने के साथ कार्रवाई करने की मांग की है। बताया गया है कि हितग्राहियों को उनके निवास क्षेत्र के आसपास एक निश्चित है एरिया में संपूर्ण वाणी विकसित करने की योजना पर काम किया गया। इस अवसर का दुरुपयोग करते हुए अधिकारियों और एनजीओ के द्वारा पलीता लगाने की कोशिश की गई।

योजना को क्रियान्वित करने के लिए जितनी राशि सरकार की ओर से उपलब्ध कराई गई उसमें काफी गोलमाल किया गया। कुल मिलाकर योजना को अपने पक्ष में करने के साथ क्रियान्वयन एजेंसी ने अपनी जेब भरने की भरपूर कोशिश की। बताया गया है की बॉडी की एक इकाई के लिए 3 लाख 37000 खर्च करने थे और किसानों को इसके लिए पूरा प्रशिक्षण देना था लेकिन कहीं भी ऐसा नहीं किया गया।

अकेले कोरबा विकासखंड में 90 पहाड़ी कोरबा परिवार है जिन्हें इस योजना का बेहतर लाभ नहीं मिल सका है। आशंका जताई गई है कि कोरबा के साथ-साथ दूसरे क्षेत्र में भी इस प्रकार के कारनामे किए गए हैं। राजकुमार दुबे ने इस मामले से संबंधित प्रमाण होने का दावा किया है और प्रशासन से मांग की है कि मामले की जांच करने के साथ सरकारी धनराशि का दुरुपयोग करने के मामले में रिकवरी कराई जानी चाहिए।

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