नवरात्रि के नौ दिन करें इन मंत्रो का जाप, जीवनभर बरसेगी माता की कृपा
Shardiya Navratri : आज से शारदीय नवरात्रि प्रारंभ हो रहा है। घट स्थापना का शुभ मुहूर्त प्रातः काल 6.11 बजे से भी प्रारंभ हो जाएगा। अभिजीत मुहूर्त 11.30 बजे से शुरू होगा। प्रतिपदा तिथि पूरे दिन है। नवरात्रि में इसी तिथि में घट स्थापना की जाती है। सोसायटियों से लेकर मंदिरों में विशेष प्रकार की तैयारी की गई हैं। घरों में जहां श्रद्धालु दुर्गा मां की पूजा करेंगे, वहीं मंदिरों में सुबह से ही मां के दर्शन करने वालों की भीड़ जुटने लगेगी।
READ ALSO-शराब भट्ठी में ताला तोड़कर लाखों की चोरी,गल्ले से पार किये पैसे,कर्मचारी सहित 5 लोग सलाखों के पीछे
Shardiya Navratri : बहुत से लोग आज अपने घरों में कलश स्थापना करते हैं। इसके अलावा पूरे नौ दिनों तक सुबह-शाम विधि-विधान से मां दुर्गा के सभी स्वरूपों की पूजा करते हैं। ऐसे में आज हम आपको कुछ ऐसी मंत्र बताने वाले हैं जिनसे माता बेहद प्रसन्न हो जाती हैं। माता के सभी नौ दिनों के स्वरूपों के लिए अलग-अलग मंत्र है जिनका उच्चारण करने के माता की कृपा अपने भक्तों पर हमेशा बनी रहती है। तो चलिए हम आपको ये सभी मंत्र बताते हैं।
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥
ब्रह्मचारिणी मन्त्र:
दधाना करपद्माभ्यामक्षमाला-कमण्डलू ।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
चन्द्रघण्टा मन्त्र:
पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥
कूष्माण्डा मन्त्र:
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदाऽस्तु मे॥
READ ALSO-शराब भट्ठी में ताला तोड़कर लाखों की चोरी,गल्ले से पार किये पैसे,कर्मचारी सहित 5 लोग सलाखों के पीछे
स्कंदमाता मन्त्र:
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदाऽस्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
कात्यायनी मन्त्र:
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानव-घातिनी॥
कालरात्रि मन्त्र:
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
महागौरी मन्त्र:
श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव-प्रमोद-दा॥
सिद्धिदात्री मन्त्र:
सिद्धगन्धर्व-यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।