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अक्षय तृतीया आज:अक्ति के दिन आख़िर क्यों दूल्हा दुल्हन के रूप में गुड्डा-गुड़िया की जाती हैं शादी,जानें इतिहास और शुभ मुहूर्त वीडियो सहित

छत्‍तीसगढ़ में अक्ती यानी अक्षय तृतीया का अलग ही रंग देखने को मिलता है। खास बात यह है कि राज्य के किसान अक्षय तृतीया के दिन से अपना नया वर्ष शुरू करते हैं। इस पर्व को आखा तीज के भी नाम से मनाते हैं। यह पर्व तीन मई को मनाया जाएगा, जिसकी तैयारियां गांव-शहर में शुरू हो चुकी हैं।

महामाया मंदिर के पुजारी पं. मनोज शुक्ला ने बताया कि छत्तीसगढ़ के किसान अपने भरण-पोषण और जीवनयापन के लिए अन्ना को केवल एक वस्तु मात्र नहीं मनाते, बल्कि अन्नापूर्णा माता के रूप में उसकी पूजा करते हैं, इसलिए यहां के अधिकांश पर्व में धरती माता, पेड़-पौधों, गोधन-पशुधन और कृषि औजारों की पूजा करके भोग के रूप में अन्ना से बने हुए व्यंजन का ही भोग अर्पण करते हैं।

पं. मनोज ने कहा कि प्रदेश में कृषि कार्य के मध्य वर्ष भर में अक्ती से शुरू होकर सावन सवनाही, इतवारी, हरेली, भोजली, राखी, कमरछठ, आठे कन्हैया, गरभ पूजा, पोरा, तीजा, बाल बंधई, पितर बैसकी, जग जंवारा, नवाखाई, दशरहा, सुरहुत्ती-देवारी, गोवर्धन पूजा, मातर, जेठौनी, गांव बनई, छेरछेरा पुन्नाी, मड़ई मेला, फाग फगुवा गीत आदि त्योहार का सिलसिला पूरे वर्ष भर चलता है। इसमें व्रत पूजा, भक्ति भावना के साथ पारिवारिक, सामाजिक, समरसता और आपसी प्रेमभाव निहित रहता है।

अक्षय तृतीया पर शादी के लिए अबूझ मुहूर्त

बैसाख शुक्ल पक्ष की अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त माना जाता है। यदि किसी अन्य मुहूर्त में परिवार में कोई बाधा आ रही हो तो ऐसे में अक्षय तृतीया के दिन बिना मुहूर्त मांगे शुभ कार्य करना चाहिए। भारतीय सनातन संस्कृति में अक्षय तृतीया को अत्यधिक महत्व दिया जाता है। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार इस दिन रामायण-महाभारत की कई घटनाएं हुई थीं, साथ ही भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम का जन्म भी इसी दिन हुआ था, इसलिए इसे अबुजा मुहूर्त कहा जाता है। वहीं किसी भी तरह के शुभ कार्य के लिए शास्त्रों के साढ़े तीन मुहूर्त को श्रेष्ठ माना जाता है। इनमें चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, बैसाख माह में अक्षय तृतीया, अश्विन शुक्ल दशमी (दशहर), कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा का आधा।

पुतरा-पुतरी की शादी करने की परंपरा

अक्षय तृतीया के दिन गुड्डा-गुड़िया (पुतरा-पूतरी) की शादी करने की परंपरा है। प्रदेश में गांव से लेकर शहर के बच्चे सप्ताह भर पहले से ही गुड्डा-गुड़िया की शादी करने की तैयारी में लग जाते हैं। बच्चे भी पारंपरिक तरीके से शादी का मंडप सजाकर हर रस्म पूरी करते हैं।

आने वाले माह में शादी का शुभ मुहूर्त

मई- 2, 3, 9, 10, 11, 15, 18, 20, 21, 26, 27, 31।

जून- 1, 6, 8, 10, 11, 13, 20, 21, 23, 24।

जुलाई- 3, 4, 7, 8, 9।

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