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CG BREAKING: अन्तर्राष्ट्रीय कृषि मड़ई एग्री कार्नीवाल 2022, धान की जलवायु लचीली तथा अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों के विकास के लिए जुटे 15 देशों के कृषि वैज्ञानिक

‘‘धान प्रजनन कार्यक्रम के आधुनिकीकरण’’ पर दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ

रायपुर, 17 अक्टूबर, 2022।Agriculture Madai Agri Carnival: इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित पांच दिवसीय ‘‘एग्री कार्नीवाल 2022’’ के दौरान आज यहां ‘‘प्रजनन कार्यक्रम के आधुनिकीकरण से अनुवांशिकी की तेज दर पाने’’ पर केन्द्रित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ किया गया। इस कार्यक्रम में भारत, युगांडा, जिम्बाम्बे, मेडागास्कर, सेनेगल, इथोपिया, नामीबिया, घाना, माली, सेशेल्स, फिलीपींस, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका आदि देशों के वैज्ञानिकों द्वारा विचार-विमर्श किया गया। इस कार्यशाला में किसानों के खेतों में अनुवांशिकी दर का प्रभाव, बाजार की संभावनाए, अनुवांशिक दर में वृद्धि तथा आनुवांशिक चयन जैसे विषयों पर गहन चर्चा की गई।

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Agriculture Madai Agri Carnival: इस कार्यशाला का आयोजन अन्तर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान केन्द्रों के समूह ‘‘सी.जी.आई.ए.आर.’’, अन्तर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान मनीला, राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान विस्तार प्रणाली तथा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा किया जा रहा है। इस कार्यशाला का समापन कल मंगलवार 18 अक्टूबर को होगा।


Agriculture Madai Agri Carnival: इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने इस अवसर पर कहा कि भविष्य की आवश्यकताओं एवं बाजार मांग को ध्यान में रखते हुए मौसम की विषमताओं के प्रति सहनशील एवं अधिक उत्पादन देने वाली धान की नवीन प्रजातियों का विकास किये जाने की आवश्यकता है। डॉ. चंदेल ने धान की नई किस्मों के विकास में लगने वाले समय को कम करने के लिए स्पीड ब्रीडिंग तकनीक पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि स्पीड ब्रीडिंग तकनीक के द्वारा नवीन प्रजातियों के विकास में लगने वाली अवधि को 14-15 वर्षाें से घटाकर 6-7 वर्ष किया जा सकेगा। उन्होंने प्रजनन कार्यक्रम आधुनिकीकरण के तहत इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में किये जा रहे अनुसंधान कार्याें के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

Agriculture Madai Agri Carnival: उल्लेखनीय है कि क्रॉप टू एण्ड हंगर परियोजना के तहत इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विगत पांच वर्षाें से सी.जी.आई.ए.आर. के साथ मिलकर धान की नवीन प्रजातियों के विकास हेतु अनुसंधान किया जा रहा है। कार्यशाला को सी.जी.आई.ए.आर. के एक्सिीलेंस इन ब्रीडिंग कार्यक्रम के कॉर्डिनेटर डॉ. एस.के. कटियार एवं विभिन्न देशों से आए प्रसिद्ध धान वैज्ञानिकों ने संबोधित किया। उन्होंने अपने-अपने देशों में प्रजनन कार्यक्रम आधुनिकीकरण के तहत किये जा रहे कार्याें की जानकारी दी। विभिन्न देशों के वैज्ञानिकों ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर में किये जा रहे प्रजनन कार्यक्रम का अवलोकन किया। गौरतलब है कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर में 23 हजार से अधिक किस्मों का जननद्रव्य संग्रहीत किया गया है।

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