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अखिलेश यादव और शिवपाल यादव में ठनी…चाचा को सपा का विधायक नहीं मानते अखिलेश, योगी-यादव मुलाकात से कयासों का बाजार गर्म

लखनऊ: विधान सभा चुनाव में मिली हार के बाद मुलायम परिवार (Mulayam Family) की अंदरूनी लड़ाई एक बार फिर से तेज हो गई है. चाचा शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) और भतीजे अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के बीच रिश्ते लगातार बिगड़ रहे हैं. बात यहां तक पहुंच गई है कि भतीजे ने चाचा को सपा का विधायक मानने से इनकार कर दिया है. इस बीच, चाचा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Aditynath) से मुलाकात करके बड़ा सियासी दांव चलने का प्रयास किया है.

20 मिनट तक हुई बातचीत

CM योगी-यादव की इस मुलाकात को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. माना जा रहा है कि चाचा शिवपाल ‘साइकिल’ छोड़कर ‘कमल’ थाम सकते हैं. वैसे भी, सपा के सिंबल पर चुनाव जीतने के बाद भी अखिलेश उनके साथ ‘बाहरी’ जैसा व्यवहार कर रहे हैं. बुधवार को विधान सभा में विधायक पद की शपथ के बाद शिवपाल ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की. दोनों नेताओं के बीच करीब 20 मिनट तक बातचीत हुई. हालांकि, शिवपाल ने इस मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बताया है, लेकिन इसके राजनीतिक मायने कुछ और ही हैं.

चाचा’ को साथ लेकर BJP चलेगी यह दांव

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के आजमगढ़ संसदीय क्षेत्र से इस्तीफा देने के बाद अब उपचुनाव होना है. ऐसे में यदि शिवपाल BJP में जाते हैं, तो पार्टी उन्हें आजमगढ़ सीट से अपना प्रत्याशी बना सकती है. गौरतलब है कि आजमगढ़ सीट पर 2009 में ‘कमल’ खिलाने वाले रमाकांत यादव अब सपा में हैं. जानकारों का मानना है कि बदली परिस्थितियों में आजमगढ़ उपचुनाव रोचक हो गया है. भाजपा ने पहले भोजपुरी एक्टर दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को इस सीट से मैदान उतारा था, लेकिन वो अखिलेश यादव को मात नहीं दे सके. ऐसे में शिवपाल पार्टी के लिए एक ट्रंप कार्ड साबित हो सकते हैं.

शिवपाल के बेटे को भी मिलेगा मौका?

शिवपाल के भाजपा का हिस्सा बनने पर पार्टी को उनके सहारे जसवंतनगर सीट पर भी कमल खिलाने का मौका मिल जाएगा.  दरअसल, शिवपाल अपने बेटे के सियासी भविष्य के लिए राह तलाश रहे हैं. सपा ने उनके बेटे को टिकट नहीं दिया था. ऐसे में जसवंतनगर सीट खाली होने पर भाजपा उनके बेटे के जरिए बड़ा सियासी दांव चल सकती है.

टीम मोदी का हिस्सा बन सकते हैं यादव

एक संभावना यह भी है कि भाजपा शिवपाल यादव को अपने साथ मिलाने के लिए राज्य सभा भेजने का दांव चल सकती है. यूपी में अगले कुछ महीने में राज्य सभा की सीटें खाली हो सकती है. ऐसे में सपा के कोर वोट बैंक यादव समुदाय में सेंधमारी के लिए BJP यादव को उच्च सदन भेजकर केंद्रीय मंत्री बना सकती है. बता दें कि मोदी सरकार में यूपी से कोई भी यादव केंद्रीय मंत्री नहीं है.

CM योगी के साथ अच्छी है केमिस्ट्री

सियासी पंडित यह भी मानते हैं कि भविष्य को ध्यान में रखते हुए भाजपा अखिलेश के चाचा को योगी सरकार में मंत्री पद दे सकती है. योगी सरकार 2.0 मंत्रिमंडल में यादव समुदाय से कोई भी कैबिनेट मंत्री नहीं है. गिरीश यादव इकलौते हैं, जिन्हें स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री बनाया गया है. CM योगी के साथ शिवपाल यादव की केमिस्ट्री पहले से अच्छी रही है, जिसका फायदा उन्हें मिल सकता है.

मिशन 2024 में ऐसे मिल सकता है फायदा

उत्तर प्रदेश की राजनीति में शिवपाल यादव का अपना जलवा है और वह यादव समुदाय के बीच अच्छी पकड़ रखते हैं. यूपी में 9 फीसदी यादव वोटर हैं और ओबीसी में सबसे बड़ी आबादी है, जो सपा का मूल वोटर माना जाता है. ऐसे में BJP 2024 में सपा को मात देने के लिए शिवपाल यादव को लेकर यादव वोटबैंक में सेंधमारी कर सकती है.

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