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मोदी कैबिनेट ने किसानों को दिया तोहफा, रबी फसलों पर MSP बढ़ोतरी को मंजूरी

मोदी सरकार लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी कृषि से संबंधित बिल पास करवा चुकी है. वहीं अब मोदी कैबिनेट ने रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर बढ़ोतरी को मंजूरी दी है. इसको लेकर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा में बयान भी दिया.

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा में MSP बढ़ाने की घोषणा की. तोमर ने कहा कि इस कदम से हम स्पष्ट संदेश भेजना चाहते हैं कि सरकार द्वारा एमएसपी को हटाया नहीं गया है. वहीं 6 रबी फसलों पर एमएसपी बढ़ाया गया है. इनमें गेंहू में 50 रुपये, चना में 225 रुपये, मसूर में 300 रुपये, सरसों में 225 रुपये, जौ में 75 रुपये और कुसुम में 112 रुपये प्रति क्विंटल का इजाफा किया गया है.

इस दौरान बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ट्वीट करते हुए कहा कि संसद में कृषि सुधार विधेयकों के पारित होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए 6 रबी फसलों की एमएसपी में वृद्धि के निर्णय को मंजूरी प्रदान की है.

जेपी नड्डा ने कहा, ‘केंद्र सरकार ने न केवल एमएसपी में वृद्धि की है बल्कि किसानों के पारिश्रमिक मूल्य को सुनिश्चित करने लिए एमएसपी पर खरीद भी बढ़ाई है. बिना तथ्यों के आधार पर किसानों को भ्रमित करने वाले लोगों का झूठा चेहरा आज बेनकाब हो गया है, उन्हें अब हमारे अन्नदाता भाइयों बहनों से माफी मांग लेनी चाहिए.’

देश में किसानों से जुड़े बिल पर बवाल मचा हुआ है. इस बीच केंद्र सरकार ने रबी की फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एसएसपी) बढ़ाने का फैसला किया है. वहीं देश के कई कोनों में एमएसपी को लेकर ही विवाद चल रहा है. जिस वजह से उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं.

दरअसल, कृषि क्षेत्र से जुड़े बिलों में एमएसपी के मुद्दे को लेकर किसानों में नाराजगी देखने को मिल रही है. हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद यह बात कह चुके हैं कि एमएसपी की व्यवस्था जारी रहेगी. फसलों की सरकारी खरीद जारी रहेगी. हालांकि इसके बावजूद देश में किसानों के प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहे हैं.

भ्रम की स्थिति

बता दें कि नए विधेयक में किसानों को अपनी उपज को कहीं पर भी बेचने की छूट दी गई है. इससे मंडियों की अहमियत पर असर पड़ेगा. हालांकि पंजाब-हरियाणा में मंडियों को नेटवर्क अधिक है, लिहाजा इन राज्यों में किसान संगठनों की नाराजगी ज्यादा देखने को मिल रही है. किसानों के सामने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर भी भ्रम की स्थिति है, जिसको लेकर भी विरोध प्रदर्शन जारी है.

विपक्ष का हंगामा

वहीं कृषि बिल को लेकर संसद से सड़क तक संग्राम जारी है. इस महासंग्राम के बीच विपक्षी पार्टियों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने का वक्त मांगा है. विपक्ष की ओर से अपील की जाएगी कि राष्ट्रपति दोनों कृषि बिलों पर अपने हस्ताक्षर न करें और वापस इन्हें राज्यसभा में भेज दें.

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