मध्य प्रदेश बीजेपी में आरएसएस की भूमिका, सरकार बदलते ही 2 महीने में संघ प्रमुख का तीसरा दौरा
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत 2 महीने में तीसरी बार मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल का दौरा कर रहे हैं. वो यहां 2 दिन के लिए रुकेंगे और वीएचपी के पदाधिकारियों के साथ बैठक करेंगे. इस दौरान भागवत कोरोना काल में विहिप के द्वारा किए गए कार्यों की समीक्षा करेंगे. साथ ही आगामी कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार करने पर मंथन करेंगे. बार-बार संघ प्रमुख के भोपाल दौरे को देखकर ये कहा जा सकता है कि मध्य प्रदेश में संघ का दखल लगातार बढ़ रहा है. संघ प्रमुख के दौरे को लेकर कई तरह की अटकलें भी लगाई जा रही हैं.
कुछ लोग इसे उपचुनाव से जोड़कर भी देख रहे हैं जबकि संघ के सूत्रों का दावा है कि इस दौरे का उपचुनावों से कोई लेना देना नहीं है. इसे देखने का अपना-अपना नजरिया हो सकता है. जानकार मानते हैं कि भोपाल देश के बीच में स्थित है, यहां लोगों का पहुंच पाना आसान है. लिहाजा यहां देश के अलग-अलग हिस्सों से लोगों का पहुंच पाना सुगम हो जाता है. हालांकि ये बात गौर करने वाली है कि 2 महीने में तीसरी बार संघ प्रमुख भोपाल क्यों आ रहे हैं.
‘संघ की कोई भी गतिविधि अचानक नहीं होती’
जो लोग संघ और उसकी रणनीति को समझते हैं, वो ये जानते हैं कि उसकी कोई भी गतिविधि अचानक नहीं होती. उसके पीछे काफी चर्चा और मंथन होता है, फिर कोई काम आगे बढ़ता है. जाहिर है कि संघ प्रमुख का ये दौरा अचानक नहीं है और न ही इसका सीधे उपचुनावों से कोई लेना-देना है.
17 और 18 सितंबर के 2 दिन के इस प्रवास में मोहन भागवत वीएचपी के पदाधिकारियों के साथ अलग-अलग हिस्सों में बैठक करेंगे. बैठक भोपाल के पटेल नगर इलाके के कैलाश मैरिज गार्डन में आयोजित की गई है. सूत्रों की मानें तो भागवत बैठक के दौरान कई और अहम मुद्दों पर भी चर्चा कर सकते हैं. जिसमें राम मंदिर निर्माण और चीन का मुद्दा भी शामिल हो सकता है.
मध्य प्रदेश में होने वाले हैं उपचुनाव
वैसे तो इस दौरे का उपचुनावों से कोई खास लेना देना नहीं है, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि संघ को उपचुनावों से फर्क नहीं पडता. उपचुनावों से ठीक पहले संघ ने अपनी रणनीति को आगे बढ़ाते हुए सह संगठन मंत्री के पद पर प्रचारक हितानंद को नियुक्त किया. आरएसएस से जुड़े सूत्र बताते हैं कि संघ ने हितानंद का इस पद के लिए चुनाव काफी समय पहले कर लिया था लेकिन नियुक्ति सही समय और हालात देखकर की गई.
अब सवाल ये है कि संघ प्रमुख बार-बार भोपाल क्यों आ रहे हैं? संघ के सूत्रों की मानें तो कोरोना काल में भागवत का कहीं दूर जाना और पदाधिकारियों का एकत्र हो पाना नहीं संभव है. लिहाजा सभी ऐसी जगह मिलते हैं जहां माहौल अनुकूल हो और पहुंचना आसान हो. भोपाल इस तरह की बैठकों के लिए सबसे मुफीद जगह कही जा सकती है.
मध्य प्रदेश में लगातार भागवत के दौरे
इससे पहले भागवत 20 जुलाई को भोपाल आए. इस दौरान वो शारदा विहार में 5 दिन तक रहे. यहां उन्होंने संघ के पदाधिकारियों, प्रचारकों और कोर ग्रुप के साथ मंथन किया. बैठक में मोहन भागवत के साथ करीब डेढ़ दर्जन संघ के पदाधिकारी शामिल हुए.
संघ प्रमुख राम मंदिर भूमिपूजन कार्यक्रम में शामिल होने के बाद 9 अगस्त को भोपाल आए. मोहन भागवत 2 दिन तक भोपाल में रहे और यहां संघ के सेवा कार्यों की समीक्षा की. साथ ही भविष्य के सेवा कार्यों की योजना पर भी चर्चा की.
कांग्रेस सरकार जाने के बाद संघ की गतिविधियों में तेजी
ये बात और है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार जाने के बाद संघ की गतिविधियों में भी तेजी आई. मध्य प्रदेश देश के बीच में स्थित है, लिहाजा ये कहना गलत नहीं होगा कि यहीं से पूरे देश को लेकर संघ अपनी रणनीति को तैयार करता रहा है.
भागवत का बार-बार हो रहा दौरा अपने आप में बताता है कि संघ मध्य प्रदेश को लेकर कितना गंभीर है. हाल ही में ज्योतिरादित्य सिंधिया का नागपुर दौरा भी चर्चा का विषय रहा. अब संघ की बैठक में किन-किन बातों पर मंथन होता है, इस पर सभी की निगाहें रहेंगी.