प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज 70वां जन्मदिन है. इस उम्र में भी पीएम मोदी न सिर्फ देश बल्कि दुनियाभर के युवाओं के लिए पॉलिटिकल आइकन हैं. फिटनेस मंत्र हों, फैशन ट्रेंड या फिर सोशल मीडिया पर पॉपुलैरिटी..हर जगह पीएम मोदी की धाक है. 17 सितंबर 1950 को गुजरात के वडनगर में जन्मे मोदी आज लोकप्रियता के सबसे ऊंचे मुकाम पर हैं. उनकी वर्किंग स्टाइल और लाइफस्टाइल के 10 ऐसे पहलू हैं जो हर किसी के लिए मैनेजमेंट मंत्र के रूप में कभी भी काम आ सकते हैं.
- लीक से हटकर सोच
17 सितंबर 1950 को गुजरात के वडनगर में नरेंद्र मोदी का जन्म हुआ था. पीएम मोदी की सबसे बड़ी खासियत है कि वे लीक से हटकर फैसले लेते हैं. सत्ता में आने के बाद पीएमओ में अधिकारियों और कर्मचारियों में अनुशासन लाने के लिए सबसे पहले पीएम मोदी ने खुद का उदाहरण पेश किया. वे खुद 14 से 18 घंटे तक काम में बिजी रहते हैं. उन्होंने सरकार की बैठकों को दिल्ली से बाहर भी अन्य राज्यों में आयोजित कीं. विदेशी राष्ट्राध्यक्षों से दिल्ली से बाहर मुलाकातें और बैठकें कीं. मंत्रियों और सांसदों को दिल्ली से बाहर जमीन पर काम करने को भेजा. स्वच्छ भारत और शौचालय बनाने जैसी बातें लाल किले के प्राचीर से कीं और सफाई और स्वास्थ्य जागरुकता को जनआंदोलन बनाया.
- टीम और मिशन मोड में काम
पीएम मोदी हर काम को टीम और मिशन मोड में करते दिखते हैं. 2014 में सत्ता में आते ही उन्होंने टीम इंडिया का कॉन्सेप्ट रखा. तमाम विभागों और एजेंसियों को टीम इंडिया के रूप में विकसित करने के लिए उन्होंने कई पहल कीं. पीएम मोदी ने 2022 तक न्यू इंडिया का लक्ष्य रखा और सबको घर-खाना-पानी मुहैया कराने के लिए कई योजनाएं शुरू कीं. लंबित परियोजनाओं को मंजूरी देने के लिए PRAGATI बैठक शुरू कीं. जब पीएम मोदी ने स्वच्छता अभियान को शुरू किया तो 9 हस्तियों को नॉमिनेट कर एक चेन सिस्टम बनाया जो देखते ही देखते एक बड़ा अभियान बन गया.
- आगे आकर नेतृत्व का साहस
चुनावी जंग में अपने चेहरे को दांव पर लगाकर प्रधानमंत्री ने सियासी साहस का भी हमेशा परिचय दिया है. लोकसभा ही नहीं, राज्यों के विधानसभा चुनावों तक के अभियान में बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काम के भरोसे मैदान में उतरती है और लगातार जीत भी हासिल करती है. यही कारण है उत्तर भारत के मैदानी इलाकों से लेकर पूर्वी भारत-पूर्वोत्तर और साउथ के चुनावों में भी पार्टी के चुनावी बैनरों पर पीएम मोदी की तस्वीरें ही प्रमुखता से दिखती हैं. विपक्ष हर बार मोदी को मुद्दा बनाकर भाजपा पर निशाना साधता है, लेकिन मोदी इसी का फायदा उठाकर जनता का विश्वास जीत लेते हैं.
- खुद जमीन पर उतरना, तय सीमा में काम पूरा करना
किसी भी काम के पूरा होने के लिए समय का पाबंद होना सबसे अहम होता है. पीएम मोदी चाहें कितने भी व्यस्त क्यों न हों..रूटीन के काम में अपनी उपस्थिति जरूर रखते हैं. सफाई अभियान के लिए जहां पीएम मोदी ने दिल्ली के पुलिस थाने में खुद झाड़ू लगाई तो काशी के घाट की सफाई के लिए खुद हाथों में फावड़ा लेकर उतर पड़े. मथुरा में कूड़ा चुनकर मशीन में उसे रिसाइकिल कर उन्होंने लोगों को बड़ा संदेश दिया. स्वच्छता मिशन में प्रधानमंत्री खुद उतर गए तो देश के लोगों को भी इससे प्रेरणा मिली और देखते-देखते स्वच्छता आंदोलन जनआंदोलन बन गया. ये पीएम मोदी की कार्यशैली का ही परिणाम था.
- फिटनेस की मिसाल
इस उम्र में जब लोग आम जिंदगी में रिटायर होकर आराम की जिंदगी जीना चाहते हैं, तब पीएम मोदी रोज करीब 14 घंटे तक काम करते हैं. बिना थके लगातार विदेशी दौरे, संबोधन, मैराथन बैठकें और लोगों को लुभा लेने वाले भाषणों के जरिए वे अलग ही मिसाल पेश करते हैं. खुद ही नहीं, पीएम मोदी ने फिटनेस को देश के हर आदमी का मिशन बनवा दिया. योग दिवस का दुनियाभर में आयोजन और फिर फिट इंडिया मूवमेंट को शुरू कर पीएम मोदी ने सार्वजनिक तौर पर व्यायाम किए और लोगों को फिटनेस के प्रति जागरुक किया.
- नई-नई तकनीक से लगाव
पीएम मोदी को आधुनिक तकनीकों से बहुत लगाव है. वे सोशल मीडिया का इस्तेमाल लोगों से जुड़े रहने के लिए करते हैं. नमो ऐप के जरिए वे लोगों से सीधा संवाद करते हैं. तमाम मंत्रियों, विभागों के अधिकारियों को भी उन्होंने तकनीक के जरिए लोगों के सीधे संपर्क में रहने को प्रेरित किया. फेसबुक-ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए और तकनीक के प्रति लगाव के जरिए पीएम मोदी युवा पीढ़ी के सीधे संपर्क में रहते हैं. विपक्षी दल जबतक सोशल मीडिया को समझने में लगे रहे, तबतक पीएम मोदी सोशल मीडिया के किंग बन चुके थे.
- ब्रांडिंग में माहिर
केंद्र की चुनावी जंग में पीएम मोदी की एंट्री 2013 में हुई तबसे देश के चुनावी कैंपेन में बड़े बदलाव देखने को मिले. 3-डी कैंपेन, रेडियो पर मन की बात, चाय पर चर्चा, चुनावी कैंपेन का प्रोफेशनल मैनेजमेंट, विदेशों में बड़ी जनसभाएं आदि कर पीएम मोदी ने न सिर्फ पार्टी और खुद को एक ब्रांड में बदला बल्कि देश की चुनावी तस्वीर भी बदलकर रख दी. विपक्ष ने जब चौकीदार चोर है का आरोप लगाया, तब पीएम मोदी ने उसी का इस्तेमाल अपने चुनावी अभियान में कर लिया और खुद को ट्विटर पर ‘चौकीदार नरेंद्र मोदी’ बना लिया. समर्थक भी उनके इस कैंपेन से जुड़ गए और विपक्ष के हथियार से उसी को मात मिल गई.
- विपरीत परिस्थितियों में भी अटल रहना
विपरीत परिस्थितियों में जब कोई आम आदमी आलोचनाओं से आहत होकर निराश हो जाता है, ऐसे मौके पर भी पीएम मोदी स्थिति को आगे आकर खुद संभालते और मिसाल पेश करते हैं. पुलवामा हमले के बाद कार्रवाई के लिए चारों ओर के दबाव के बीच देश को संबोधित करना और बाद में एयरस्ट्राइक से पाकिस्तान को सबक सिखाना इसका उदाहरण है. चंद्रयान-2 मिशन की निराशा के दौरान देश को संबोधित कर वैज्ञानिक समुदाय के प्रति समर्थन का माहौल बनाने समेत कई ऐसे मौके आए जब पीएम मोदी ने विपरित परिस्थितियों को भी अलग तरीके से हैंडल कर मिसाल पेश की.
- विदेश नीति में पर्सनल केमिस्ट्री पर जोर
विपक्ष मोदी सरकार की विदेश नीति की आलोचना करता आया है लेकिन विदेश नीति में भी पीएम मोदी ने बाकी राजनेताओं से अलग हटकर विश्व नेताओं के साथ पर्सनल केमिस्ट्री कायम की. वैश्विक नेताओं के साथ उनकी दोस्ती की तस्वीरें दुनियाभर में चर्चित हुईं. बराक ओबामा, डोनाल्ड ट्रंप, व्लादिमीर पुतिन, शी जिनपिंग, बेंजामिन नेतन्याहू, शिंजो आबे, इमैनुएल मैक्रों जैसे नेताओं के साथ उनका दोस्ती का रिश्ता है जो भारत को दुनिया में एक अलग पहचान दिलाता है.
- फैशन ट्रेंड पेश करना
पीएम मोदी फैशन को लेकर भी काफी सजग रहते हैं. उनका स्टाइल सभी उम्र के लोगों के लिए जल्द ही फैशन बन जाता है. लाल किले पर अलग-अलग रंग के साफे, रंग-बिरंगी सदरी, मोदी कुर्ता, मोदी गमछा जो भी पीएम मोदी ने अपनाया, लोगों के बीच ट्रेंड बनता चला गया. पीएम मोदी का आधी बाजू का कुर्ता आज युवाओं के लिए भी स्टाइल स्टेटमेंट बन गया है और फैशन शो रूम की शोभा बन गया है. विदेशी नेताओं के बीच भी मोदी जैकेट का कई मौकों पर ट्रेंड दिखा. 2016 में ब्रिक्स समिट में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, ब्राजील के राष्ट्रपति माइकेल टेमर और जैकब जूमा डिनर के दौरान मोदी जैकेट में नजर आए थे.
इसी तरह दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन को पीएम मोदी ने कुछ विशेष कुर्ते गिफ्ट किए थे जिन्हें वे अपने दफ्तर पहनकर पहुंचे थे और अपनी तस्वीर शेयर की थी. हालांकि, अपने कई तरह के कुर्ते, जैकेट को लेकर कई बार प्रधानमंत्री मोदी विपक्षी नेताओं के निशाने पर भी आते रहे हैं.