मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विडियों कांफ्रेसिंग के माध्यम से किया वनोपज से संबंधित कार्यों का भूमि पूजन एवं शुभारंभ….
दीपक कुमार पुड़ो@
कांकेर – कांकेर जिले में आदिवासी संस्कृति के संरक्षण एवं वनोपज संग्रहण व प्रसंस्करण से संबंधित विभिन्न कार्यों का मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वीडियों कांफ्रेंसिंग के माध्यम से भूमि पूजन और शुभारंभ किया। विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री निवास कार्यालय रायपुर में आयोजित कार्यक्रम में उनके द्वारा ’’आदिवासी संस्कृति संरक्षण संग्राहालय गढ़िया पहाड़’’ कांकेर, हर्रा प्रसंस्करण केन्द्र ईच्छापुर, कोदो – कुटकी – रागी प्रसंस्करण केन्द्र कृषि विज्ञान केन्द्र कांकेर, लाख प्रसंस्करण केन्द्र नवागांव भावगीर, मशरूम उत्पादन सह प्रशिक्षण केन्द्र मर्दापोटी का भूमि पूजन और मर्दापोटी वन क्लस्टर का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर उन्होंने 15438.34 हेक्टेयर क्षेत्रफल के 17 सामुदायिक वन संसाधन हक, 4 हजार 834 सामुदायिक वन अधिकार पटटा और 3 हजार 38 व्यक्तिगत वन अधिकार पट्टो का वितरण किया, साथ ही 10वीं एवं 12वीं उत्र्तीण 20 मेधावी छात्र-छात्राओं को प्रशस्ति पत्र एवं प्रति विद्यार्थी 51 सौ रूपये नकद राशि से पुरस्कृत किया गया।विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर जिला पंचायत कांकेर में आयोजित कार्यक्रम में वीड़ियों कांफ्रेसिंग के माध्यम से हितग्राहियों से चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि कांकेर जिला वासियों ने निजी और शासकीय भूमि के वृक्षों का सर्वे कर लघु वनोपज से होने वाले आमदनी के संबंध में जो कार्य किया है वह सराहनीय है। मर्दापोटी क्लस्टर के 17 गांवों के युवा स्व-सहायता समूह के सदस्यों द्वारा किये गये सर्वे के अनुसार इस क्षेत्र के ग्रामीणों को वनोपज से ही 11 करोड़ 57 लाख रूपये से अधिक की आमदनी हो सकती है। शासन द्वारा निर्णय लिया गया है कि वृक्षारोपण में अब फलदार पौधो का रोपण किया जायेगा। लघु वनोपज की खरीदी और उनके प्रसंस्करण पर विशेष ध्यान दिया जायेगा, इसके माध्यम से हम गरीबी के खिलाफ लड़ाई मे सफल होंगे। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि चारामा विकासखण्ड के ग्राम खैरखेड़ा के ग्रामीणों द्वारा सामुदायिक वन संसाधन के प्राप्त जमीन में विभिन्न आर्थिक गतिविधियां की जा रही है, साथ ही वनों के संरक्षण का कार्य भी किया जा रहा है, जो प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि तेंदुपत्ता संग्राहकों के लिए संचालित बीमा योजना समाप्त होने के कारण राज्य शासन द्वारा अब शहीद महेन्द्र कर्मा तेंदुपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना प्रारंभ किया गया है, जिसका फायदा कांकेर जिले के तेंदुपत्ता संग्राहकों को भी मिलेगा। गोधन न्याय योजना अंतर्गत गोबर की खरीदी तथा नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी के संबंध में भी उनके द्वारा ग्रामीणों से चर्चा की गई तथा उन्हे शासकीय योजनाओं से लाभ उठाने का आग्रह किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार आदिवासियों के सर्वांगीर्ण विकास को लक्ष्य में रख कर कार्य कर रही है। आदिवासी बच्चों को बेहतर शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रत्येक जिले में अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खोले जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जहाॅ सबसे अधिक वन अधिकार मान्यता पत्रों का वितरण किया गया है।
कलेक्टर के.एल. चौहान ने इस अवसर पर अपने प्रतिवेदन में कांकेर जिले में वन अधिकार मान्यता पत्रों के वितरण के लिए किये जा रहे कार्यों एवं अब तक की उपलब्धियों से अवगत कराया। विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर जिला पंचायत मे आयोजित कार्यक्रम में संसदीय सचिव एवं कांकेर विधानसभा क्षेत्र के विधायक श्री शिशुपाल शोरी, जिला पंचायत के अध्यक्ष हेमन्त ध्रुव, उपाध्यक्ष हेमनारायण गजबल्ला, बस्तर विकास प्राधिकरण के सदस्या बिरेश ठाकुर, जिला पंचायत सदस्य नरोत्तम पडोटी, कलेक्टर के.एल. चौहान जिला पंचायत के सीईओ डाॅ. संजय कन्नौजे, वनमण्डलाधिकारी कांकेर अरविंद पी.एम., वनमण्डलाधिकारी पूर्व भानुप्रतापपुर मनीष कश्यप, वनमण्डलाधिकारी पश्चिम भानुप्रतापपुर आर.सी मेश्राम, अपर कलेक्टर एस.के. वैद्य, आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त विवेक दलेला सहित जनप्रतिनिधिगण, वन अधिकार मान्यता पत्र के हितग्राही और मेधावी छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।