प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भारत में काम कर रही चीनी कंपनियों पर शिकंजा कसते हुए एचएसबीसी बैंक के चार खातों को फ्रीज कर दिया है. इन खातों में 46.96 करोड़ रुपये जमा हैं. इन कंपनियों पर नियमों के उल्लंघन का आरोप है.
कार्रवाई से पहले प्रवर्तन निदेशालय ने इन कंपनियों पर छापा मारा था. ये कंपनियां ऑनलाइन जुए की एप्लीकेशन चला रही थीं. ED ने दिल्ली, गुरुग्राम, मुंबई और पुणे में 15 स्थानों पर छापा मारा था, इसके बाद ये कार्रवाई की गई है. इसके अलावा जांच एजेंसी ने इन कंपनियों के रजिस्टर्ड ऑफिसों, डायरेक्टर्स, चार्टर्ड अकाउंटेंट के दफ्तरों पर भी छापा मारा. जुए की इन एप्लीकेशन्स को भारत से बाहर से होस्ट किया जाता था.
46.96 करोड़ रुपये जब्त
इस कार्रवाई में ED ने 17 हार्ड डिस्क, 5 लैपटॉप, फोन, आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए थे, जबकि 4 बैंक खातों में जमा 46.96 करोड़ रुपये जब्त कर लिए गए. ED ने अब हैदराबाद पुलिस की शिकायत पर चीनी कंपनी डॉकीपे टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड और लिंकयून टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू कर दी है.
पेटीएम पेमेंट गेटवे का इस्तेमाल
ED ने डॉकीपे टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड के 2 बैंक खातों के विश्लेषण से ये पाया कि पिछले साल इस खाते में 1,268 करोड़ रुपये का संग्रह था, जिसमें से 300 करोड़ रुपये पेटीएम पेमेंट गेटवे के जरिए आया और 600 करोड़ रुपये पेटीएम गेटवे के माध्यम से बाहर गया.
जांच एजेंसी का दावा है कि इन खातों से 120 करोड़ रुपये का अवैध भुगतान किया गया. ईडी ने कहा कि बड़े स्तर पर ऐसे वित्तीय लेन-देन का पता चला है, जिसका कोई आधार नहीं है. ये लेन-देन वैसी भारतीय कंपनियों के साथ हुए हैं, जो ऑनलाइन चाइनीज डेटिंग ऐप चलाती थीं. ईडी को शक है कि ये कंपनियां हवाला कारोबार में भी जुटी थीं. अब ईडी इस बारे में ऑनलाइन वैलेट कंपनियों और HSBC से जानकारी जुटा रही है.
चीनियों ने फर्जी कंपनियां बनाईं
जांच के दौरान पता चला है कि कुछ भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट की मदद से चीनी नागरिकों ने कई भारतीय कंपनियां बना लीं. इन कंपनियों में पहले डमी भारतीय डायरेक्टर तैनात किए और इन्हें पंजीकृत किया गया. कुछ दिनों बाद ये चीनी नागरिक भारत आए और इन कंपनियों की डायरेक्टरशिप अपने हाथों में ले ली.