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पर्यावरण के संरक्षण ये कैसा नमूना, लिमतरी ग्राम में एक दर्जन से ज्यादा नीम और बबुल के हरे भरे पेड़ो को चढ़ाया जा रहा है बली, RJ NEWS की ग्राउंड रिपोर्ट।

बलौदाबाजार:- एक ओर जहां पौधारोपण के नाम पर हर साल करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, वहीं लकड़ी माफिया बिलाईगढ़ क्षेत्र में  सैकड़ों पेड़ों की बलि ले रहे हैं। ऐसा ही मामला बिलाईगढ़ तहसील की ग्राम पंचायत लिमतरी के तालाब किनारे पर लगे नीम और बबुल के हरे-भरे पेड़ को काटने से ग्रामीण बौखला उठे है । बड़ी संख्या ग्रामीणों ने तालाब किनारे पहुंचकर विरोध जताते हुए कटे पेड़ों को घेर कर खड़ें हो गए।  ग्रामीणों द्वारा बताया गया है कि ग्राम पंचायत लिमतरी के सरपंच के द्वारा 1 लाख 5 हजार रुपये में सचिव के मिलीभगत से पंचायत में  प्रस्ताव पारित करके पुरगांव के ठेकेदार को हरा भरा पेड़ को  कटिंग करने के लिए दे दिया गया है  जिसकी कीमत लगभग 15 लाख मानी जा रही है । जो कि राजस्व और वनविभाग के बिना अनुमति से हरा भरा पेड़ को काटा गया है। जिससे लिमतरी के ग्रामीणों में  काफी आक्रोश देखने को मिल रहा है। जब इसकी सूचना RJ NEWS की टीम को पता चला तो ग्राउंड में जाकर देखा तो निम और बबूल के हरे – भरे पेड़ कटे हुए मिले

पंच से की सरपंच पति ने मार पीट ।

वार्ड क्रमांक 3 के पंच गजानंद पटेल ने  Rj news से बात चीत पर बताया कि लिमतरी ग्राम में सबसे सोभा बढ़ाने वाला निम का ही पेड़ है जो कि तालाब के किनारे पूरा निम और पीपल  के पेड़ो से घिरा हुआ है। बताया जाता है कि सरपंच के  द्वारा 54 हरे – भरे निम, बबुल, पीपल के पेड़ को काटने का ठेका दे दिया गया है जिसमे से 5 बाबुल पेड़ और 5 नीम के पेड़ को  काट कर ट्रैक्टर से ले जा रहे थे

तभी ग्रामीणों द्वारा ट्रेक्ट को रोककर इसका  विरोध किया।  ट्रेक्टर को रोकने पर पंच गजानंद पटेल ने  सरपंच पति प्रहलाद साहू के द्वारा मार पीट करने  का आरोप लगाया है और बिलाईगढ़ थाने में इसकी लिखीत शिकायत किया गया है। लेकिन अब तक कोई कार्यवाही नही किया गया है। क्या इसमे भी अधिकारियों का मिलीभगत है। अब आगे देखने वाली बात होगी।

कलेक्टर से लेनी होती है अनुमति।

बताया गया कि प्रतिबंधित लकड़ी से संबंधित पेड़ों की कटाई के लिए कलक्टर कार्यालय में आवेदन करना होता है। आवेदन के निराकरण के लिए कलक्टर कार्यालय से आवेदन तहसील कार्यालय भेजा जाता है। जहां राजस्व अधिकारी आवेदन में दर्शाए स्थल व वृक्षों का निरीक्षण कर रिपोर्ट कलक्टर को सौंपतें हैं, इसके पश्चात् संबंधित को वृक्षों को काटने की अनुमति मिलती है।

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