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तेलनदी पर चक्काजाम के बाद किसानों को महीनेभर के अंदर राशि दिलाने का अधिकारियों ने दिया था आश्वासन, लेकिन अधिकारी है मौन, अब 7 को किसान फिर करेंगे बड़ा चक्का जाम……..

देवभोग। सेतु निर्माण विभाग द्वारा 10 साल पहले कुम्हड़ईखुर्द और कुम्हड़ईकला के 28 किसानों की जमीन अधिग्रहित कर तेल नदी पर पुल निर्माण किया गया था। वहीं जमीन अधिग्रहण के दौरान पहली किस्त 13 मार्च 2015 को किसानों को मिल गईं थी। जबकि दूसरी क़िस्त की एरियर्स राशि अब तक नहीं मिल पाई है। किसान सम्पूर्णचंद्र पात्र, उपेंद्र यादव,भोजो और संभु का कहना हैं कि पिछले पांच साल से किसान मुवावजा राशि पाने के लिए भटक रहे हैं। किसानों के मुताबिक 3 वर्ष पहले से एसडीएम देवभोग के खाते में 63 लाख 25 हजार 74 रुपये जमा हैं। वहीं किसानों के मुताबिक वे जमा राशि देने की मांग कर रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी उच्च स्तर से मार्गदर्शन लेने की बात कहते हुए उचित जवाब नहीं दे पा रहे हैं। वहीं मुआवजा नहीं मिल पाने के चलते बीते 28 सितंबर को किसानों ने तेलनदी पर चक्काजाम कर दिया था। वहीं मौके पर पहुँचे अधिकारियों की समझाइश और दिए गए आश्वासन के बाद किसानों ने घंटे भर में ही चक्काजाम खत्म कर दिया था। किसानों के मुताबिक अधिकारियों ने उन्हें आश्वस्त किया था कि महीने भर के अंदर उन्हें राशि मिल जाएगी। वहीं आज एसडीएम दफ्तर पहुँचे किसानों ने ज्ञापन सौंपने के दौरान बताया कि डेढ़ महीने बीत गए लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने उचित कदम नहीं उठाया। किसान रामेश्वर पात्र,उपेंद्र यादव,सारथी राम यादव,मनहर पात्र और श्रीवेश यादव ने बताया कि आज एसडीएम के नाम ज्ञापन सौंपकर स्पष्ट कर दिया गया हैं कि 7 दिसम्बर से तेल नदी पुल पर चक्काजाम करते हुए बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा। किसानों ने कहा कि अब आश्वसन नहीं बल्कि मौके पर पहुँचकर समस्या का निदान जब तक नहीं किया जाएगा,तब तक किसान पूरे परिवार के साथ दिन और रात पुल के ऊपर बैठकर प्रदर्शन करते रहेंगे।

6 किसानों की हो चुकी हैं मौत-: ज्ञापन सौंपने पहुँचे किसानों ने बताया कि मुवावजा राशि की दूसरी क़िस्त पाने के लिए किसान 5 सालों से जिला से लेकर एसडीएम दफ्तर के चक्कर काटने को मजबूर हो गए हैं। वहीं इस दौरान 28 में से 6 किसानों की मृत्यु भी हो चुकी हैं। नाराज किसानों ने कहा कि दफ्तरों के चक्कर काटते-काटते बहुत ज्यादा परेशान हो चुके हैं।

पहली किस्त के रूप में इतनी राशि का हुआ हैं भुगतान-: यहां बताना लाज़मी होगा कि पुराने अधिनियम के तहत 2014 में अवार्ड पारित करते हुए कुम्हड़ईकला को 4 लाख 51 हजार 540 रुपये और कुम्हड़ई खुर्द को 2 लाख 45 हजार 846 रुपये का अवार्ड पारित भुगतान हुआ था।

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