कोंडागांव:मूर्तियों में जान डालने वाले मूर्तिकार आज अपने परिवार की जान बचाने के लिए कर रहे मजदूरी।
कभी मूर्तियों में जान डाला करते थे आज जीवन यापन के लिए मजदूरी करने को मजबूर हैं शिल्पकार। लॉक डाउन ने तोड़ी कमर शिल्पकार की जिला प्रशासन राज्य सरकार ने नही की कोई मदद। मदद के लिए लगाई गुहार।
शिल्प नगरी के नाम से प्रसिद्ध कोंडागांव को देश विदेश में उचाईयों तक पहुचाने वाले शिल्पकार आज 3 महिने के लॉक डाउन में इन शिल्पकारों की आर्थिक स्थिति ने कमर तोड़ कर रख दिया है। शिल्पकार के जो हाथ पहले पिलत को जलाकर मुर्तियों में जान डाल दिया करते थे वही हाथ आज पेट की आग बुझाने के लिए लोग के भवन निर्माण में लगे हैं। जिसके चलते 40 परिवार के शिल्पकारों को अपने व आश्रीत परिवार का भरण पोषण करने मजदूरी करने को मजबूर होना पड़ा। जोगरेन्द्र सोनवानी शिल्पकार का कहना है कि राज्य सरकार जिला प्रशासन से किसी भी प्रकार से कोई सहयोग नही मिला है। वही साथी संस्था के व चावरा स्कूल समूह के द्वारा खाने का राशन दिया गया था और किसी ने भी कोई सहयोग नही किया है। सरकार आर्थिक मदद के साथ ही सुचारू रूप से छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प बोर्ड के द्वारा मुर्ति खरीदी जाए तो कुछ काम बन जाएगा।
चक्कर नेताम बताते हैं कि शुरू से मूर्ति ही बनाते हैं लॉक डाउन में शिल्पकार अपने परिवार का भरण पोषण कैसे कर रहा है सरकार या जिला प्रशासन ने कभी कोई सुध नही ली। मजबूरन मजदूरी करना पड़ रहा हैं।