छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के नतीजे तीन दिसंबर को आने हैं। इससे पहले 30 नवंबर को चुनाव के नतीजों को लेकर एग्जिट पोल जारी हो गए हैं। निर्गम मतानुमान से राज्य में एक तस्वीर साफ हो गई है कि किसकी सरकार बनने जा रही है।
दरअसल, छत्तीसगढ़ में 16,270 लोगों को सर्वे में शामिल (सैंपल साइज) किया गया है। इनमें 77 फीसदी ग्रामीण तो 23 फीसदी शहरी क्षेत्र के लोग शामिल हैं। इस सर्वे में हिस्सा लेने वाले लोगों में कुल 56 फीसदी पुरुष तो 44 फीसदी महिलाएं शामिल हैं।इंडिया टुडे एक्सिस माय इंडिया के सर्वे के मुताबिक राज्य में एक बार फिर कांग्रेस को बढ़त मिलती दिख रही है। कारण, सर्वे में कांग्रेस को 40 से 50 तो बीजेपी को 36 से 46 सीट मिलने का अनुमान है।
एग्जिट पोल से 9 बड़े संदेश
1. कांग्रेस के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार के खिलाफ कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं है, लेकिन ऐसा लगता है कि मतदान की तारीख से एक महीने पहले बीजेपी ने काफी बढ़त हासिल कर ली है और इस तरह बीजेपी पर कांग्रेस की बढ़त बहुत कम है।
2. बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में किए गए वादों से लोगों, खासकर किसान और महिलाओं को आकर्षित किया है।
– विवाहित महिलाओं को 12,000 रुपये प्रति वर्ष।
– गरीबों को 500 रुपये में एलपीजी सिलेंडर।
– भूमिहीन खेतिहर मजदूरों को 10,000 रुपये।
– प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान की खरीद 3100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से।
निर्दलीय व अन्य पार्टियों को कमतर आंकना भारी पड़ सकता है राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियों को
3. महिला, शहरी, ओबीसी और सामान्य जाति और युवाओं (18-35 आयु) में बीजेपी आगे चल रही है।
4. पुरुष, ग्रामीण, एससी, एसटी और मुस्लिमों में कांग्रेस आगे है।
5. तीन नवंबर को बीजेपी के बाद 5 नवंबर को कांग्रेस का घोषणापत्र जारी किया गया, जहां “किसान लोन माफ” ने बहुत से किसानों को आकर्षित किया, जिससे माहौल फिर से कांग्रेस के पक्ष में आ गया।
6. 2018 में बीजेपी बहुत बुरी तरह हार गई और दोनों पार्टियों के बीच 10% वोट शेयर अंतर के साथ कुल 90 सीटों में से केवल 15 सीटें ही जीत सकी। मुख्य कारण यह है कि एससी/एसटी/ओबीसी और यहां तक कि उच्च जाति ने बड़े पैमाने पर कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया, लेकिन इस बार बीजेपी ओबीसी, विशेष रूप से साहू (14% जनसंख्या) और उच्च जाति का बड़े स्तर पर वोट हासिल कर सकती है।
7. बीजेपी बस्तर क्षेत्र में आगे चल रही है, जो सबसे बड़ी हैरान करने वाली बात है। कारण, परंपरागत रूप से पिछले चुनावों में इस क्षेत्र में कांग्रेस आगे रही है। वहीं राज्य के के बाकी हिस्सों में कहानी उलट है।
8. बसपा ने इस बार जीजीपी (गोंडवाना गणतंत्र पार्टी) के साथ गठबंधन किया, लेकिन पिछली बार की तरह इस बार भी कोई खास प्रभाव नहीं डाल पाई। पिछली बार बसपा ने स्वर्गीय अजीत जोगी की पार्टी जेसीसी (जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे)) के साथ गठबंधन किया था। तभी भी ये गठबंधन कोई खास आंकड़े हासिल नहीं कर पाया।
9. इस बार मुकाबला बहुत कांटे का है। मैदान में 4-6 उम्मीदवार छोटे दल और निर्दलीय ऐसे मैदान में हैं, जो त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में अहम रोल निभा सकते हैं। इन दलों में बसपा, जीजीपी, सीपीआई शामिल हैं।
10. मुख्यमंत्री किसे होना चाहिए? सर्वे में पूछे गए इस सवाल में ‘काका’ यानी भूपेश बघेल नबर वन हैं। 31 फीसदी लोगों ने बघेल के नाम पर मुहर लगाई है, जबकि रमन सिंह के नाम पर 21 फीसदी लोगों ने मुहर लगाई है। टी.एस सिंह देव को महज 2 फीसदी लोगों ने मुख्यमंत्री (CG Exit Poll 2023) के रूप में देखा है।