
जन्माष्टमी पर 46 मिनट का शुभ मुहूर्त : जन्माष्टमी का त्योहार भगवान कृष्ण के जन्म के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इसे कृष्णष्टमी या गोकुलाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। भगवान कृष्ण के अनुयायियों के लिए जन्माष्टमी का त्यौहार बहुत महत्व रखता है। यह त्योहार कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन मनाया जाता है। जन्माष्टमी का त्योहार देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में धूम-धाम से मनाया जाता है।
जन्माष्टमी हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाता है। मान्यता है कि श्री कृष्ण का जन्म इसी अष्टमी तिथि को रात 12 बजे रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस साल अष्टमी तिथि बुधवार दोपहर 3 बजकर 37 मिनट पर शुरू होगी और 7 सितंबर को 4 बजकर 16 मिनट तक रहेगी। इसके अलावा इस बार सालों बाद जन्माष्टमी पर एक दुर्लभ संयोग बना है।
श्री कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि की अर्धरात्रि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस बार भी 6 सितंबर को अष्टमी तिथि के साथ रोहिणी नक्षत्र का संयोग बना है जो की काफी शुभ है। ऐसे में गृहस्त जीवन वाले 6 सितंबर को ही जन्माष्टमी मनाएंगे।
जन्माष्टमी पर 46 मिनट का शुभ मुहूर्त
जन्माष्टमी पर 46 मिनट का शुभ मुहूर्त : वैष्णव संप्रदाय में उदयातिथि का महत्व ज्यादा होता है, इसलिए ये लोग 7 सितंबर को जन्मोत्सव मनाएंगे। जन्माष्टमी के दिन पूरे दिन व्रत रखा जाता है और रात 12 बजे लड्डू गोपाल का जन्म कराकर उन्हें भोग लगाया जाता है। फिर सभी में प्रसाद बांटा जाता है। उसके बाद ही व्रत खोला जाता है। 6 सितंबर को श्री कृष्ण की पूजा का मुहूर्त भी केवल 46 मिनट का ही है। पूजा का शुभ मुहूर्त 11 बजकर 56 मिनट से शुरू होगा और 7 सितंबर को रात 12 बजकर 42 मिनट पर खत्म होगा।