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बाणासुर की राजधानी मानी जाती है अबूझमाड़ में स्थित तुलार गुफा,तुलार गुफा तक पहुंच रहें श्रद्धालु…

बारसूर। बीजापुर के अबूझमाड़ इलाके में स्थित तुलार गुफा में इस बार भी लोग महाशिवरात्रि पर हजारों श्रद्धालु पहुंचे और भगवान शिव का जलाभिषेक कर लौट रहे हैं। तुलार गुफा बीजापुर जिले के तुषवाल पंचायत में है जो कि सरकारी रिकार्ड के मुताबिक बीजापुर जिले के भैरमगढ़ ब्लॉक अंतर्गत यह जगह स्थित है।

अधिकांश लोगों दंतेवाड़ा जिले के बारसूर से तुलार गुफा तक 38 किमी लंबा रास्ता पैदल व मोटरसाइकिल पर ही तय करते हैं। नदी – नाले पहाड़ व पथरीली खड़ी चढ़ाई वाली पहाड़ियों से होकर गुजरने में लोगों काे काफी कष्ट उठाना पड़ा है। शिव रात्रि पर्व के लिए इक्का-दुक्का अस्थाई स्थानीय लोगों द्वारा दुकानें भी लगा रखा है।

अब तुलार तक इन मार्गों से भी पहुंचा जाता है
छिंदनार पाहुरनार होते हुए,तथा कोशलनार घाट से इंद्रावती नदी पार करते हुए, बारसूर सातधार वह बो्दली कांचनार होते हुए यहां पहुंचा जा सकता है।

पहाड़ पर स्थित गुफा से रिसता है पानी
हर दिन हर साल रिसता रहता है भोलेनाथ पर शीलन गंगा जल ,
हर दिन चढ़ते हैं बेल की पत्तियां,व हल्दी चावल।

चट्‌टानवाले तुलार गुफा की खासियत यह है कि जिस जगह पर शिवलिंग स्थापित हैं, वहां पर गुफा के ऊपरी हिस्से से पानी लगातार रिसता रहता है। आपको बता दें कि यह इस जगह पर हर दिन ताजा बेल की पत्तियां भोलेनाथ के ऊपर बाणासुर के द्वारा हर दिन पूजा भी किया जाता है।
चंद्रमा की स्थिति के अनुसार पानी की मात्रा घटती-बढ़ती रहती है। लोगों के द्वारा माघ पूर्णिमा में पानी ज्यादा वेग से रिसता है, जबकि महा शिवरात्रि में वेग कम रहता है। रिसने वाले पानी के स्रोत की पड़ताल करने की काेशिश कई बार गई, लेकिन पता नहीं चलता। इसी पानी से श्रद्धालु स्नान अभिषेक करते हैं, और लौटते वक्त गंगाजल की तरह अपने साथ बोतलों में भरकर पानी ले जाते हैं। श्रद्धालुओं व बुजुर्गों के मुताबिक तुलार बाणासुर की साधना स्थली के रूप में भी यह स्थान मशहूर है।

नक्सली दहशत होने लगा कम।

ग्रामीणों में तुलार धाम के नाम से विख्यात गुफा पर बीते एक दशक से नक्सली दहशत हावी रहता था लेकिन अब इस इलाके में पुलिस फोर्स की पहुंच होने पर इस इलाके में श्रद्धालु यहां तक आसानी से पहुंच रहे है। दस साल पहले नक्सलियों ने इस जगह पर गुफा के ठीक सामने गुंडाधूर स्मारक का निर्माण भी किया है जो आज तक मौजूद है, श्रद्धालु जिसे देखते ही यहां पहुंचने वाले लोग के मन में दहशत कम होने लगा। नक्सलियों की दहशत के चलते सड़क की मरम्मत बीते 15 सालों से नहीं हुई। बाइक सायकिल पर लोग बड़ी मुश्किल से यहां पहुंच पाते हैं। बारसूर के नजदीक कोशलनार घाट से इंद्रावती नदी पार करने के बाद बीजापुर जिले के भैरमगढ़ ब्लाक के, कोसलनार, मंगनार, गुफा गांव होते हुए यहां पहुंचा जा सकता है। सातधार से मंगनार तक कच्ची सड़क भी है, लेकिन आगे का रास्ता ज्यादा खराब है। जंगली इलाके में पैदल सफर तय करने में 5 घंटे से ज्यादा वक्त लग जाता है।

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