छत्तीसगढ़ में 3 से 80 फीट हुई शिवलिंग की ऊंचाई : आस्था में पहले सोमवार को शिवालयों में भारी भीड़,
आज सावन का पहला सोमवार है इस वजह से शिवालयों में सुबह सुबह से ही भक्तों की भीड़ है। हर कोई भगवान शंकर के दर्शन कर उन्हें जल चढ़ाना चाहता है। ऐसा ही नजारा छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश की सीमा से लगे अमरकंटक में देखने को मिला। यहां बारिश और कोहरे के कारण मौसम सुहाना है। जिसके चलते लोग प्रकृति की सुंदरता का भी लुत्फ उठा रहे हैं।
सुबह से लोग मां नर्मदा के मंदिर में दर्शन करने पहुंचे। इसके अलावा भक्तों ने भगवान शंकर को जल चढ़ाया। मां नर्मदा की भी पूजा की। यहां इस बार भी बड़ी संख्या में कांवड़िये पहुंचे हैं। अमरकंटक की वादियों में बोल बम के जयकारे गूंजते रहे।
अमरकंटक मंदिर के अलावा ज्वालेश्वर महादेव मंदिर में भी सुबह से भक्तों की भीड़ रही। कहा जाता है कि श्रावण मास में अमरकंटक स्थित मां नर्मदा कुंड से जल लेकर भगवान ज्वालेश्वर का अभिषेक अवश्य करना चाहिए।
अमरकंटक के नर्मदा उद्गम मंदिर में विशेष पूजा अर्चना का दौर लगातार जारी है। इस बार पड़ने वाले 8 सावन सोमवार में से यह पहला सावन सोमवार है। पहले दिन लोगों की भारी भीड़ यहां के प्रति आस्था को बता रही है। देशभर में 4 जुलाई से सावन का महीना शुरू हो गया है।
गरियाबंद जिला मुख्यालय से 3 किलोमीटर की दूरी पर बसे ग्राम मरौदा के जंगलों में प्राकृतिक शिवलिंग `भूतेश्वर महादेव` स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि इस शिवलिंग की उंचाई हर साल बढ़ती है। यहां न सिर्फ छत्तीसगढ़ से, बल्कि दूसरे राज्यों से भी लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
सावन के महीने में इस मंदिर में भारी भीड़ होती है। इस बार भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। सुबह से लोग मंदिर पहुंचते रहे। भगवान शंकर को जल चढ़ाया गया। भूतेश्वर महादेव के पुजारी रामाधार का कहना है कि हर वर्ष सावन मास में दूर-दराज से कांवड़िए (भक्त) भूतेश्वर महादेव की पूजा-अर्चना करने आते हैं।गरियाबंद जिला मुख्यालय से 3 किलोमीटर की दूरी पर बसे ग्राम मरौदा के जंगलों में प्राकृतिक शिवलिंग `भूतेश्वर महादेव` स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि इस शिवलिंग की उंचाई हर साल बढ़ती है। यहां न सिर्फ छत्तीसगढ़ से, बल्कि दूसरे राज्यों से भी लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
सावन के महीने में इस मंदिर में भारी भीड़ होती है। इस बार भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। सुबह से लोग मंदिर पहुंचते रहे। भगवान शंकर को जल चढ़ाया गया। भूतेश्वर महादेव के पुजारी रामाधार का कहना है कि हर वर्ष सावन मास में दूर-दराज से कांवड़िए (भक्त) भूतेश्वर महादेव की पूजा-अर्चना करने आते हैं।
आपको बता दे की कवर्धा में प्रति वर्ष की तरह इस साल भी सावन मास के पहले सोमवार को नगर के प्राचीन पंचमुखी बूढ़ा महादेव मंदिर से ऐतिहासिक भोरमदेव मंदिर तक 18 किलोमीटर की पदयात्रा निकाली गई। जिसमें स्थानीय विधायक ममता चंद्राकर समेत तमाम पदाधिकारी भी शामिल हुए।
बहुत ही पुराणी मानी जाती है यहाँ की परम्परा को 2008 से यह परंपरा लगातार जारी है। आज सुबह से ही भोरमदेव मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ दर्शन के लिए पहुंची। वहीं कांवड़िए और श्रद्धालुओं के लिए स्वास्थ्य सेवाओं के अलावा जगह-जगह शीतल पेयजल और नाश्ता सहित भोरमदेव में विश्राम करने की व्यवस्था की गई है।