राजिम। राजिम माघी पुन्नी मेला में अपना छोटे से स्टाॅल लगाकर गोदना गोदने की परंपरा को जीवित रखते हुए घटारानी से आए संतोष कुमार ध्रुव ने बताया कि वह यहां कई वर्षो से आ रहे है। यह हमारा पारंपरिक व्यवसाय है। हमारे वंशज के व्यवसाय को हम निरंतर आगे बढ़ा रहे है और इसी से अपना जीवनयापन कर रहे है। उन्होंने आगे बताया कि गोदना गोदवाने में युवाओं का अधिक क्रेज है वे अपने हाथों, भुजाओं और पीठ पर नये आकर्षक डिजाईन को टैटू के रूप बनवा रहे है।
युवा अपने हाथों में अधिकतर शिवजी के प्रतीक डमरू, त्रिशुल और युवतियां बिन्दी फूल, नाम, ओम्, स्वास्तिक आदि बनवा रहे है। पहले गोदना गोदवाने का चलन सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं में अधिक था, लेकिन अब शहरी क्षेत्रों यह टैटू के रूप में युवाओं को अधिक पसंद आ रहा है। गोदना आर्किटेक ध्रुव ने बताया कि यह टैटू शरीर पर बनवाने में दर्द नहीं होता और जीवनभर के लिए अमिट रहता है। उसने बताया कि लोगों की ईच्छानुसार हम इसे उसके शरीर पर बनाते है और 10रूपये से लेकर 1000 रूपये तक का चार्ज लेते है। ऐसी मान्यता है कि छत्तीसगढ़ की महिलाएं गोदना को अपना अमिट आभूषण मानती है जो इस दुनिया से जाने के बाद भी हमारे साथ ही जातीे है।