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Chhattisgarh Crime News: फर्जी पुलिस बनकर केस सेटलमेंट करने वाला गिरफ्तार, अफसरों को दिए महंगे गिफ्ट – चैट और तस्वीरें बरामद…

रायपुर: राजधानी रायपुर पुलिस ने दो दिन पहले बुधवार को फर्जी पुलिस बनकर केस सेटलमेंट करने वाले आशीष घोष को गिरफ्तार किया था. गुरुवार को उसे कोर्ट में पेश किया गया, जहां से पुलिस ने उसे 6 सितंबर तक रिमांड पर लिया. आशीष के कब्जे से 2 लाख रुपये नकद, दो सोने की अंगूठी, दो सोने की ब्रेसलेट और अन्य सामान बरामद हुआ, जिसका वह हिसाब नहीं दे सका. वहीं आरोपी के मोबाइल से ऐसे कुछ चैट्स मिले है जिसमें पुलिस अधिकारियों को महंगे फोन, दूपहिया वाहन और महंगे जूते गिफ्ट दिए जाने की बात कही जा रही है.

पुलिस को आशीष की गाड़ी से एक थाने का सील-मोहर, ड्यूटी चार्ट और गश्त पॉइंट भी मिला. उसके मोबाइल में कई इंस्पेक्टर और डीएसपी रैंक के अधिकारियों के साथ पार्टी करते हुए तस्वीरें और केस सेटलमेंट से जुड़े चैट मिले. कई चैट डिलीट होने के कारण मोबाइल को साइबर लैब भेजा गया है ताकि डेटा रिकवर किया जा सके. प्रारंभिक जांच में पता चला कि आशीष प्रदेश के कई थानों में नियमित रूप से आता-जाता था. वह थानों में दर्ज मामलों की जानकारी लेता और फिर शिकायतकर्ताओं को बाहर बुलाकर पैसे लेकर केस सेटलमेंट करता था. उसने पुलिस अधिकारियों के साथ अपनी नजदीकियां बनाकर इस धंधे को अंजाम दिया.

Chhattisgarh Crime News: फर्जी पुलिस बनकर केस सेटलमेंट करने वाला गिरफ्तार, अफसरों को दिए महंगे गिफ्ट – चैट और तस्वीरें बरामद...
Chhattisgarh Crime News: फर्जी पुलिस बनकर केस सेटलमेंट करने वाला गिरफ्तार, अफसरों को दिए महंगे गिफ्ट – चैट और तस्वीरें बरामद…

घड़ी चौक में बनवाया फर्जी आईडी
आशीष ने पूछताछ में खुलासा किया कि उसकी मुलाकात एसीबी-ईओडब्ल्यू में तैनात सिपाही उमेश कुर्रे से हुई थी. उसने उमेश के पुलिस आईडी कार्ड की फोटो खींचकर उसमें छेड़छाड़ की और अपनी तस्वीर लगाकर फर्जी आईडी बनवाया. इस काम में घड़ी चौक स्थित वीर नारायण परिसर के एक दुकानदार ने उसकी मदद की. फर्जी आईडी पर डीजी जीपी सिंह के हस्ताक्षर भी थे.

सरगुजा के पुलिस अधिकारियों से थी सांठगांठ
आशीष मूल रूप से सरगुजा का रहने वाला है और वहां के कई सब-इंस्पेक्टर, इंस्पेक्टर और डीएसपी रैंक के अधिकारियों से उसके करीबी संबंध थे. वह न केवल उनके थानों, बल्कि उनके घरों तक जाता था और उनके परिवारों के लिए गाड़ियों की व्यवस्था भी करता था. इतना ही नहीं, वह एसीबी-ईओडब्ल्यू के कई अधिकारियों और कर्मचारियों के भी संपर्क में था.

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