छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में 2100 स्थानीय अतिथि शिक्षक अपनी 9 सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हुए हैं। अतिथि शिक्षकों का कहना है कि, उन्हें काम से निकाल दिया गया है। जब सरकार को जरूरत होती है तब काम में ले लेते हैं, जब जरूरत नहीं होती तो निकाल दिया जाता है। इसी के विरोध में बस्तर संभाग के 2100 स्थानीय अतिथि शिक्षक अब सड़क पर उतर आए हैं। साथ ही नए शिक्षा सत्र से ही उन्हें काम में रखने की मांग की है। पिछले 17 दिनों से इनका धरना जारी है। शनिवार को धरने का 18वां दिन है.9The pain oozing out of the eyes)
शिक्षकों के आंदोलन का शनिवार को 18वां दिन है
शिक्षकों के आंदोलन का शनिवार को 18वां दिन है।
जगदलपुर में दुधमुंहे बच्चों के साथ कई महिला अतिथि शिक्षक भी धरने पर बैठी हुईं हैं। इन्हीं में से एक जयंती सेठिया ने अपना दर्द बयां किया और रो पड़ीं। जयंती ने कहा कि, रोजगार छीन लिया गया है। अब बच्चे को क्या खिलाऊं? बहुत तकलीफ में हूं। सरकार हमारी तकलीफों को समझे और हमें नौकरी पर रखें। ताकि जिंदगी की गाड़ी चल सके। वहीं यहां मौजूद अन्य शिक्षकों ने कहा कि, हमें रोजगार देने की बजाए बेरोजगार कर दिया गया है। सरकार से मांग हैं कि हमारी भी सुने.
जगदलपुर में आंदोलन अतिथि शिक्षक
मांगे पूरी नहीं हुई तो बड़ा आंदोलन करने की दी चेतावनी
अतिथि शिक्षक कल्याण संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि, यदि हमारी मांगें पूरी नहीं की जाती है तो, जगदलपुर के कमिश्नर कार्यालय का घेराव और सड़क जाम करेंगे। फिर भी बात नहीं बनती है तो संभागभर के 2100 स्थानीय अतिथि शिक्षक राजधानी रायपुर तक का सफर करेंगे। अनियमित कर्मचारी संघ और विपक्ष की पार्टियों का भी समर्थन मिल रहा है.
तख्ती में स्लोगन लिख बैठे हैं आंदोलन पर
हर जिले में अलग-अलग नाम से जाने जाते हैं
पदाधिकारियों ने बताया कि, दंतेवाड़ा, नारायणपुर, कोंडागांव और कांकेर जिले में इन शिक्षकों की भर्ती स्थानीय अतिथि शिक्षक के रूप में की गई। वहीं बस्तर जिले में शिक्षक सेवक , सुकमा और बीजापुर में शिक्षा दूत के रूप में इन शिक्षकों को भर्ती किया गया था। इनका कहना है कि नियमित शिक्षकों के स्कूल में आते ही उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाता है.(The pain oozing out of the eyes)