
बिलासपुर: बिलासपुर-रायपुर मेन रोड से थोक फल-सब्जी उपमंडी तिफरा तक दो करोड़ 83 लाख रुपये की लागत से बनी 980 मीटर सड़क के निर्माण में ठेकेदार के साथ ही मंडी बोर्ड के अधिकारियों की जमकर मनमानी सामने आई है। ठेकेदार की ओर से क्रांकीट सड़क का निर्माण करना था, लेकिन उन्होंने इस सड़क की प्रकृति ही बदल दी है। ठेकेदार ने पहले कुछ मीटर तक क्रांकीट रोड बनाई। इसके बाद दरार आने और धूल उड़ने की बात कहते हुए पूरी सड़क का डामरीकरण कर दिया। हैरानी की बात यह है कि मंडी बोर्ड के अधिकारियों ने इसके लिए अपने उच्च अधिकारियों से अनुमति भी नहीं ली।
तिफरा में स्थित थोक फल-सब्जी उपमंडी की रोड काफी जर्जर थी। रोज भारी वाहनों के गुजरने के कारण जगह-जगह गड्ढे हो गए थे। वाहन समेत लोगों की सब्जियां आदि भी गिर रही थी। यहां के व्यापारियों ने रोड के निर्माण के लिए आंदोलन भी चलाया। यही वजह है कि मंडी बोर्ड की ओर से क्रांकीट सड़क के निर्माण के लिए दो करोड़ 58 लाख रुपये की स्वीकृति मिली।
क्रियान्वयन एजेंसी ने इसके लिए निविदा जारी की। अविनाश बिल्डकान को सड़क निर्माण का ठेका मिला। शुरुआत में ठेकेदार ने तय नियमों के तहत सड़क का निर्माण किया। कुछ दूर तक क्रांकीट सड़क बनाने के बाद दरारें उभरकर सामने आने लगीं। इससे धूल भी उड़ने लगी थी। इस पर पर्दा डालने के लिए ठेकेदार ने पूरी सड़क पर डामरीकरण कर दिया। इसके लिए मौखिक रूप से तत्कालीन कार्यपालन अभियंता अनिल कुमार सरसोरिया से आदेश भी ले लिया।
बिजली के लिए 34.12 लाख स्वीकृत, अब भी अंधेरा
सड़क निर्माण के साथ ही मंडी बोर्ड की ओर से डिवाइडर के बीच में विद्युतीकरण कार्य के लिए 34 लाख 12 हजार रुपये की स्वीकृति दी है। बोर्ड की ओर से यहां विद्युतीकरण करना था। इधर, सड़क का निर्माण पूरा होने के बाद भी अब तक बिजली नहीं लग पाई है। शाम होते ही सड़क पर अंधेरा छा जाता है। अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही विद्युतीकरण के कार्य पूरे कर लिए जाएंगे।
अब तक पूरी नहीं बन पाई है नाली
रायपुर-बिलासपुर मुख्य मार्ग से लेकर थोक फल-सब्जी मंडी तक 980 मीटर रोड के किनारे नाली का निर्माण भी होना था, लेकिन यह भी अब तक अधूरी है। इसके लिए मंडी बोर्ड की ओर से एक करोड़ 21 लाख 38 हजार रुपये स्वीकृत किया गया है।
व्यस्त ट्रैफिक के चलते लिया निर्णय
सड़क का निर्माण करने वाले ठेकेदार का कहना है कि निर्माण के दौरान व्यापारियों के साथ ही यहां आने वाले किसानों को ट्रैफिक कम करने के लिए लगातार अपील की जा रही थी। इसके बाद भी दबाव कम नहीं हुआ। यहीं वजह है कि सड़क पर दरारें आ गईं। इसके कारण डामरीकरण किया गया है। इससे विभाग को किसी प्रकार का नुकसान नहीं है।
निर्माण के दौरान ही ट्रैफिक चल रहा था। इससे कहीं-कहीं दरारें उभर आईं थीं। इसे सुधारने के लिए ही इस सड़क का डामरीकरण किया गया है। इससे विभाग को कोई नुकसान भी नहीं है। अनिल कुमार सरसोरिया, तत्कालीन ईई छत्तीसगढ़ राज्य कृषि विपणन बोर्ड