
बिलसपुर के स्लम बस्ती में जन्मे इंजीनियर रज्जु कुमार (एन एक्सीडेंटल इंजीनियर) पर यह कहावत एकदम फिट बैठती है
बचपन में बनाई बीड़ी, दीवाली में बेचा रुई, आज है छत्तीसगढ़ सरकार में डिप्टी चीफ इंस्पेक्टर, इंटरव्यू में सामने आया हौसले की कहानी
हौसले बुलंद हों तो मुश्किलें रास्ता नहीं रोक पाती। बिलसपुर के स्लम बस्ती में जन्मे इंजीनियर रज्जु कुमार पर यह कहावत एकदम फिट बैठती है। उन्होंने मुश्किलों को हंसते हुए सामना किया और आज छत्तीसगढ़ सरकार में डिप्टी चीफ इंस्पेक्टर ऑफ फैक्ट्रीज के पद पर कार्यरत है। वे एक मोटिवेशनल स्पीकर भी है, उनका ये मानना है कि हम पत्थर ही सही, लेकिन हरेक में एक सुन्दर सी मूर्ति छुपी हुई है। बस आवश्यकता है, अवांछित पत्थरों को अलग करना है। बता दें कि इंजीनियर रज्जु कुमार ने अपने कठिन जीवन संघर्ष की कहानी को बयां किया है। खास बातचीत में उन्होंने हरक पहलुओं को खुलकर बताया। आईए जानते हैं उनके बारे में….
सवाल – आप की पहचान क्या है, एक शासकीय अधिकारी, एन एक्सीडेंटल इंजीनियर या फिर मोटिवेशन स्पीकर?
जवाब– फिलहाल मैं एक शासकीय अधिकारी हूं, जो मानवीय संवेदनाओं से ताल्लुकात रखता है। रोजी रोटी के लिये उस क्षेत्र में कार्यरत हूं और यही कार्यक्षेत्र एवं मेरे झुकाव में अंतर के फलस्वरूप मेरी पहचान एक एक्सीडेंटल इंजीनियर के तौर पर बना, फिर भी यह काम महज परिवार के आर्थिक सबल के लिये सहायक हुई, लेकिन आत्मा को पोषित नही कर पा रहा था। लोगों के जीवन में मूल्य एवं मार्गदर्शन नहीं दे पा रहा था तो मोटिवेशन स्पीकर की राह पर चल पड़ा।
सवाल – आपने अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरूस्कार जीते है, उन पुरूस्कारों के बारे मे तथा इससे आपके जीवन में इसका क्या प्रभाव पड़ा।
जवाब – वास्तव में पुरूस्कार एक प्रोत्साहन है तो दूसरी तरफ जिम्मेदारी भी तो है। यद्यपि यह आपके कार्यों को प्रोत्साहित या पहचान देने के लिये दिया जाता है लेकिन वास्तव में इन पुरूस्कार के पीछे उन असंख्य दुआओं के माध्यम से हमारा कर्म और जिंदगी चलता है। जो पुरूस्कार तो दिलाता है लेकिन आपके एक नये जिम्मेदारी आपके कंधों में सौप देता है। अंतरराष्ट्रीय पुरूस्कार के तौर पर ओसाई मुम्बई द्वारा मुझे लाईफ टाईम एचीवमेंट पुरूस्कार जो प्रथम बार किसी शासकीय अधिकारी को उक्त संस्था द्वारा दिया गया, साथ ही डीजीफासली भारत सरकार क्ळथ्।ैस्प्ए छप्ज्प्म् नीटी एवं बीसेफ के संयुक्त तत्वाधान में द्वारा नेशनल ब्रांड एम्बेंसडर अवार्ड, विश्व प्रसिद्ध गोयनका विश्वविद्यालय गुडगांव द्वारा सेफ्टी हीरो अवार्ड के अलावा छत्तीसगढ कला गौरव अवार्ड से भी नवाजा गया है। जहां तक प्रभाव का ताल्लुकात है।
प्रोत्साहन, नाम, प्रसिद्धी तो मिलती है, लोगो के बीच पहचान बनी, लेकिन मै समझता हूं यह माकूल समय है, कि अपनी मिट्टी का कर्ज चुका सकू। जो छत्तीसगढ़ महतारी ने हमे बक्श है, इसीलिये जिस भी प्लेटफार्म में गया हूं, मेरे द्वारा छत्तीसगढ की संस्कृति, जीवन प्रकृति लोगों के संबंध में जानकारी ही है जो लोगों द्वारा सराहा गया है। मेरे उद्बोधन “छत्तीसगढीया सबले बडीया” को बाहर के लोगों ने हाथो हाथ लिया है। यही तो मेरी पहचान है, इसी कारण से प्रथम छत्तीसगढ़ी मोटिवेशन स्पीकर के तौर पर भी जाना जाता हूं।