
मकर संक्रांति 2024 : इस वर्ष 15 जनवरी को मकर संक्रांति है। मकर संक्रांति 14 जनवरी को है या 15 जनवरी को, इसे लेकर संशय खत्म हो गया है। 77 वर्षों बाद दो विशेष योग में मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी।
मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव धनु से निकल कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। सूर्य के एक राशि से निकल कर दूसरी राशि में प्रवेश करने को ही संक्रांति कहते हैं। एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति के बीच का समय ही सौर मास है। पूरे वर्ष में कुल 12 संक्रान्तियां होती हैं, लेकिन मकर संक्रांति महत्वपूर्ण मानी जाती है। पौष मास में जब सूर्य उत्तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इस अवसर को देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग त्योहार के रूप में मनाया जाता है। इस दिन राशि के अनुसार पूजा दान करे
मकर संक्रांति राशि के अनुसार दान
मेष राशि के जातक तिल गुड का दान करें। तांबे की वस्तु भी दान कर सकते हैं।
वृष राशि के जातक तिल का दान करें। चांदी की वस्तु भी दान कर सकते हैं।
मिथुन राशि के जातक पीली वस्तु का दान करेंगे तो शुभ फलदायी होगा।
मकर संक्रांति का महत्व और स्नान दान का समय
हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का बहुत बड़ा धार्मिक महत्व है। इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान के बाद दान करना शुभ माना जाता है। साथ ही मकर संक्रांति के दिन ही खरमास का समापन होता है और एक मास से जिन शुभ कार्यों पर रोक लगी होती है वो फिर से शुरू हो जाते हैं। मकर संक्रांति का सिर्फ धर्म ही नहीं विज्ञान में भी बहुत ज्यादा महत्व है।
मकर संक्रांति पर्व इस बार असमंजस की स्थिति में है। 14 जनवरी या 15 जनवरी को यह पर्व मनाया जाए इस स्थिति को दूर करते हुए उन्होंने बताया कि इस बार 14 जनवरी को रात्रि 02:43 मिनट पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा। अतः इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। 77 वर्षों बाद इस बार मकर संक्रांति पर्व पर वरीयान योग प्रातः 02:40 से रात्रि 11:11 बजे तक और रवि योग प्रातः 07:15 से 08:07 बजे तक के विशेष संयोग बन रहे है। इस दिन बुध और मंगल भी एक ही राशि धनु में विराजमान रहेंगे।
सूर्य देव सभी 12 राशियों को प्रभावित करते हैं, लेकिन कर्क व मकर राशि में इनका प्रवेश अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन दोनों राशियों में सूर्य देव का प्रवेश छः माह के अंतराल पर होता है। वैज्ञानिक नजरिए की बात करें तो पृथ्वी की धुरी 23.5 अंश झुकी होने के कारण सूर्य छः माह तक पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध के निकट होता है और शेष छः माह दक्षिणी गोलार्द्ध के निकट होता है।
मकर संक्रांति दान
मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान, सूर्य की उपासना व तीर्थ स्थलों पर स्नान दान विशेष पुण्यकारी होता है। इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुनः प्राप्त होता है। मकर संक्रांति के दिन तिल का बहुत महत्व है। कहते हैं कि तिल मिश्रित जल से स्नान, शरीर में तिल का तेल मालिश करने से पुण्य फल प्राप्त होता है और पाप नष्ट हो जाते हैं। इस दिन चावल, तिल और गुड़ से बनी चीजें खाई जाती हैं। तिल और गुड़ से बनी चीजों का सेवन करने से स्वास्थ्य अच्छा होता है और इम्यून सिस्टम भी मजबूत होता है।