बोहार भाजी कईसे बनाथें – सब मन ल गुलाब के फूल पसन्द होही, हम छत्तीसगढ़िया मन ल बोहार ले मया हे आओ जानबो बनाएं के विधि

RJ NEWS – वइसे तो एखर फूल ल खाये जाथे पर ए ल आम भाखा म बोहार भाजी कहे जाथे। वइसे तो छत्तीसगढ़ म ३६ ले जादा परकार के भाजी खाये जाथे पर ए ह आन मन भाजी मन ले थोरकन महंगी मिलथे।
कारन ए हे कि ऐमा सबले जादा पोसक तत्व समाए रइथे अउ जादा मात्रा म मिले नहीं।अइसे त बोहार के न भाजी ल खाथे न फूल ल असली म तो बोहार के दोहड़ू(कली) के साग बनाए जाथे। जब दोहड़ू ल नई टोरे त ओखर फूल बनथे अउ ओहि फूल म फर लगथे जेन ल लसेड़ा कहे जाथे अउ ओखर अचार बनाए जाथे।
बोहार भाजी ह एकेच घरी म बजार ले उठ जाथे। एखरे ले जतका जल्दी होए ओतकेच जल्दी बिसा लेना चाही। गांव गवई म तो सिद्धा रुख ले बोहार भाजी टोर के रान्ध लेथें।
बोहार भाजी
जिनिस
1 किलो बोहार भाजी
1 छोटे कटोरी चना/राहेर दार
4 – 6 अमली गुदा
सुवाद बर नून
1 चम्मस हरदी
फोरन/बघार
1 ठी गोंदली
4 -6 ठ लसुन
4 ठ सुक्खा लाल मिरचा
बिधि

बोहार फूलबोहार भाजी
सबले पहिली बोहार भाजी/फूल के बड़का डेटा मन ल टोर के बने निमेंर लेना हे । तेकर ले कराही म पानी डार के ओमा भाजी अउ दार ल डार के जादा आँच म तोप के चुरोना हे।
थोकुन बेर के गए ले ओमा नून अउ हरदी ल डार देना हे अउ भाजी के चुरत ले चुरोना हे,भाजी अउ दार ह बने चुर जाही त ओमा अमली ल डार देना हे
(कराही म नई करके जम्मो जिनिस ल एकट्ठा कुकर म डार के घलौ चुरो सकत हव,अउ अमली ल जम्मो ह चूर जाही तेकर ले डारथे काबर कि अमली ल पहली डारे ले साग ह जलदी नई चुरे)

भाजी ह चूर जाहि तिहा ओला फतकाए ब मथनी म मथ सकत हव।

बोहार भाजी के सागी
अब बघार ब एक ठी कराही म तेल डार के गरम कर लेना हे, तेल गरम हो जाहि तहां ओमा लसुन अउ मिरचा ल डार के थोकुन भूंज लेना हे। लसुन मिरचा भूंजाहि तहां गोंदली ल डार देना हे। गोंदली के रंग ल भुरुआ के होवत ले भूंज लेना हे। गोंदली भूंजा जाहि तब ओमा भाजी ल झपा के ढकना ल तोप देना हे। साग ह पनियर रही त थोकुन डबका के सुक्खा कर सकत हव।
बन गईस हमर बोहार भाजी के साग, अब एला भात के संग म परोसव।