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हिन्दू धर्मगुरु स्वामी दीपांकर ने भारतीय संविधान के आर्टिकल 30 के औचित्य पर सवाल उठाते हुए इसे निरस्त करने की मांग जाने क्या है आर्टिकल 30।

हिन्दू धर्मगुरु स्वामी दीपांकर ने भारतीय संविधान के आर्टिकल 30 के औचित्य पर सवाल उठाते हुए इसे निरस्त करने की मांग की है, स्वामी ने ट्वीट कर कहा कि अनुच्छेद 370 हटाने का ये सही वक्त है, ताकि विद्यालयों में गीता-रामायण की शिक्षा दी जा सके.
स्वामी दीपांकर ने अपने ट्वीट में लिखा, अब ये सही वक़्त है कि “अनुच्छेद 30″ को हटाया जाए ताकि भारत के विद्यालयों में गीता, रामायण और सनातन संस्कृति” की शिक्षा भी दी जा सके…!! जय श्री राम।


आपको बता दें कि भारतीय संविधान के अनुच्‍छेद-30 के तहत अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थान संचालित करने का अधिकार प्राप्त है. संविधान का यह अनुच्‍छेद कहता है कि सरकार मदद देने में किसी भी शैक्षणिक संस्थान के खिलाफ इस आधार पर भेदभाव नहीं कर सकती है कि वह अल्पसंख्यक प्रबंधन के अधीन है।


हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने भी आर्टिकल-30 को हटाए जाने की मांग की थी, विजयवर्गीय ने ट्वीट कर कहा था कि देश में संवैधानिक समानता के अधिकार को ‘आर्टिकल 30’ सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचा रहा है। ये अल्पसंख्यकों को धार्मिक प्रचार और धर्म शिक्षा की इजाजत देता है, जो दूसरे धर्मों को नहीं मिलती। जब हमारा देश धर्मनिरपेक्षता का पक्षधर है, तो ‘आर्टिकल 30’ की क्या जरुरत!


बता दें कि समय-समय पर आर्टिकल-30 को हटाए जानें की मांग होती रही है..जैसे ही यह मांग उठती है कांग्रेस सरीखी पार्टियां विरोध करने आगे आ जाती हैं. आर्टिकल-30 के पक्षधर लोगों का मानना है कि अल्पसंख्यक देश के प्रमुख अंग हैं और अंग कमजोर करने से देश भी कमजोर होगा। आर्टिकल 30 को खत्म करने से अल्पसंख्यकों के मन में असुरक्षा की भावना बढ़ेगी।

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