घटिया निर्माण की खुल रही पोल, 1 साल में ही क्षतिग्रस्त हुई नहर जनपद अध्यक्ष के निरीक्षण खुलासा

प्रतापपुर विकासखंड के सिलौटा बांध जलाशय की नहरों में किया गया घटिया निमार्ण कार्य अब धीरे-धीरे उजागर होने लगा है।
प्रतापपुर / क्षेत्र की मध्यम सिंचाई परियोजना सिलौटा जलाशय की नहरों में किया गया घटिया निर्माण कार्य अब धीरे-धीरे उजागर होने लगा है। लाखो की लागत से एक साल पहले बनी पक्की नहरें कई जगहों में क्षतिग्रस्त हो गई है। ठेकेदार मरम्मत कार्य भी नही कराया जा रहा है। दरअसल, जिले के बड़े नेताओं के संरक्षण में फल-फूल रहे ठेकेदार के द्वारा नहरों का निर्माण करवाया गया था। वहीं अधिकारियों के संलिप्त होने की वजह से नहरों का निर्माण भष्ट्राचार की भेंट चढ़ गया। ठेकेदार ने बेहद ही घटिया तरीके से नहरों का निर्माण किया, इस कारण एक साल के भीतर ही नहरें जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो गया है किसानों की मांग है कि नहरों के निर्माण की वरिष्ट अधिकारी द्वारा जांच कराई जाए और दोषी ठेकेदार के खिलाफ उचित कार्रवाई।
उल्लेखनीय है कि सिलौटा जलाशय माइनर के निर्माण में काफी अनियमितता बरती गई है। जिसे लेकर किसानों के द्वारा शुरू से ही विरोध जताया जाता रहा है। लेकिन अधिकारियों ने कभी भी इसकी सुध नहीं ली। जिसका नतीजा यह हुआ कि ठेकेदार अपनी मनमानी से घटिया निर्माण करता चला गया और पूरी नहर भष्ट्राचार की बलि चढ़ गई। इस तरह के सरकारी निर्माण कार्य करने वाले जानकार बताते हंै कि नहरों के निर्माण के लिए जो मापदंड तय किए गए थे उनकी अनदेखी कर निर्माण किया गया। गौर करने वाली बात यह है कि इन नहरों में अब तक केवल गिनती के ही जलाशय का पानी छोड़ा गया है और नहर क्षतिग्रस्त हो गई।
बता दें कि जब से सिलौटा जलाशय का निर्माण हुआ तब से पहली बार इसकी सभी नहरों को सीमेंटीकरण किया गया। लाखों रुपए की राशि खर्च कर डेम की नहरों का सीमेंटीकरण तो किया गया, लेकिन सारी गिट्टियां और रेत बिखर गई। जानकार बताते हंै कि घटिया निर्माण का अंदाजा नहरों की हालत को देखकर आसानी से लगाया जा सकता है। वही जल संसाधन द्वारा ठेकेदार से 43.63 का एग्रीमेंट किया गया था लेकिन विभाग द्वारा 52 लाख भुकतान कर दिया गया है जनपद अध्यक्ष जगत लाल आयाम ने कलेक्टर सूरजपुर को पत्र लिखकर नाहर लाइनिंग की जांच कर कार्यपालन अभियंता को निलंबित करने का मांग किया है