
रायपुर: छत्तीसगढ़ की नगरीय प्रशासन व्यवस्था में कसावट और पारदर्शिता लाने के लिए नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव ने बड़ा कदम उठाया है। राज्य भर में 200 से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों का एक साथ स्थानांतरण किया गया है। इनमें वे कर्मचारी भी शामिल हैं जो पिछले 10 से 12 सालों से एक ही स्थान पर मलाईदार पदों पर जमे हुए थे
मंत्री अरुण साव ने निर्देश दिए हैं कि सभी स्थानांतरित अधिकारी और कर्मचारी तुरंत प्रभाव से अपने नए कार्यस्थल पर पदभार ग्रहण करें। लेकिन हकीकत यह है कि अब तक कई अधिकारियों ने आदेश का पालन नहीं किया है। विशेषकर बस्तर संभाग के करीब 50 अधिकारी-कर्मचारी अब भी पुराने पदों पर जमे हुए हैं। बताया जा रहा है कि ये लोग राजनीतिक और प्रशासनिक दबाव बनाकर तबादला रुकवाने या संशोधन कराने की कोशिश में जुटे हैं।
तबादला आदेश जारी होने के बाद मंत्री अरुण साव के बंगले के बाहर लगातार कर्मचारी और अधिकारी सिफारिश लेकर पहुंच रहे हैं। कई लोग स्थानीय मंत्रियों, विधायकों और जनप्रतिनिधियों की सिफारिश पत्र दिखाते हुए मनचाही जगह पर रुकने की जुगत में लगे हैं।
कुछ कर्मचारी खुलेआम कहते सुने गए –
“यह तबादला महज दिखावा है, हम व्यवस्था कर लेंगे, हमारे अच्छे संबंध हैं, विधायक-मंत्री हमारा साथ देंगे।”
वहीं, कुछ ने मेडिकल का सहारा लेने की भी योजना बनाई है। आदेश आते ही अचानक उनकी तबीयत बिगड़ने लगी है, मानो तबादले का ‘बुखार’ लौट आया हो।
यह पूरा घटनाक्रम साफ़ करता है कि कई कर्मचारी अब भी निकाय और पद को अपनी जागीर समझ बैठे हैं। मनचाही जगह पर जमे रहने के लिए वे हर संभव उपाय करने को तैयार दिख रहे हैं।
सरकार की इस सख़्ती से जहाँ प्रशासनिक सुधार की उम्मीद है, वहीं इस आदेश की वास्तविक पालना करवाना अब प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गया है।






