21वी सदी में विकास की ऐसी हैं तस्वीर की आज भी लकड़ी का पुलिया बनाकर ग्रामीण करते हैं आवाजाही,बरसात में पुलिया ढहने से ग्रामीणों को आवाजाही के लिए हो रही फिर परेशानी…….

देवभोग। आज हम 21वी सदी में जी रहे हैं। सरकारें ताल ठोक कर दावा कर रहीं हैं कि मूलभूत समस्याएं खत्म कर अंतिम छोर तक विकास का अलख पहुँचा दिया गया हैं। वहीं सरकारी दावों के बीच देवभोग ब्लॉक का जामगुरिया पारा ऐसा भी हैं, जो इन तमाम दावों की पोल खोल रहा हैं। जी हां इस गॉव के लोग आज भी लकड़ी से पुलिया तैयार कर खुद आवाजाही करते हैं।
पिछले दस साल से ग्रामीणों का यह सिलसिला जारी हैं। गॉव के पारेश्वर के साथ ही अन्य ग्रामीणों की माने तो हर साल अक्टूबर के महीने में जामगुरियापारा के ग्रामीण लकड़ी से दीवानमुड़ा गॉव से करीब आधे किलोमीटर की दूरी पर एक पुलिया खेत के किनारे बनाते हैं। इसी पुलिया से वे अक्टूबर महीने से लेकर मई महीने तक आवाजाही करते हैं। इसके बाद बरसात शुरू होते ही खेत के बीचों-बीच बना पुलिया पानी के तेज बहाव में ढह जाता हैं। ग्रामीण बताते हैं कि पिछले कई सालों से वे इसी तरह जुगाड़ से लकड़ी का पुलिया बनाकर आवाजाही करने को मजबूर हो जाते हैं।
साल भर पहले दिये गए प्रस्ताव पर अब तक नहीं हुई कार्रवाई-:मामले में दीवानमुड़ा सरपंच कंचन कश्यप ने बताया कि साल भर पहले इसी पुलिया को लेकर उन्हें प्रस्ताव भी जनपद से मांगा गया था, वहीं साल भर पहले जनपद कार्यालय को प्रस्ताव दिया जा चुका हैं, लेकिन अब तक प्रस्ताव पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं कि गई। इसी का नतीजा हैं कि आज भी ग्रामीण लकड़ी से बने पुलिया से आवाजाही करने को मजबूर हैं।
बरसात के दिनों में टापू में तब्दील हो जाता हैं पूरा गॉव-: अमाड़ पंचायत का यह आश्रित गॉव जामगुरियापारा बरसात के दिनों में टापू में तब्दील हो जाता हैं। गॉव में आने के लिए दीवानमुड़ा से एक मात्र कच्ची सड़क हैं, जिसमें भी बरसात के दिनों में लकड़ी से बनाया गया पुलिया बह जाता हैं, जिसके चलते ग्रामीणों की समस्या बहुत ज्यादा बढ़ जाती हैं।
मामले में जनपद सीईओ मनहर लाल मंडावी ने कहा कि सम्बंधित जगह पर पुलिया बनाने के लिए जिला पंचायत को प्रस्ताव भेजा जा चुका हैं। जैसे ही पुलिया की स्वीकृति मिलेगी काम शुरू कर दिया जाएगा।