
दिल्ली-NCR में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान जस्टिस कौल ने कड़ी फटकार लगाते हुए पंजाब, हरियाणा, UP और राजस्थान सरकारों को सख्त आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि पराली जलाना तुरंत बंद किया जाए। कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण को देखते हुए हमारा सब्र खत्म हो रहा है। अगर हमने एक्शन लिया तो हमारा बुलडोजर नहीं रुकेगा। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को भी निर्देश दिया कि नगर निगम शहर का ठोस कचरा खुले में न जलाए, क्योंकि दिल्ली को हर साल प्रदूषण से जूझने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता है।
जस्टिस कौल ने केंद्र सरकार से कहा कि वह किसानों को सब्सिडी देने और दूसरी फसलों की पैदावार के लिए प्रेरित करे, ताकि ठंड से पहले पराली जलाना बंद हो सके। मामले की अगली सुनवाई 10 नवंबर को होगी। ये फैसला दिल्ली में वायु प्रदूषण के लगातार खतरनाक स्तर को कम करने के लिहाज से अहम है। दिल्ली की हवा पिछले 8 दिनों से बहुत खराब है। सोमवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी AQI 470 था।
बता दें कि 31 अक्टूबर को कोर्ट ने दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण पर चिंता जताई थी। कोर्ट ने दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान को निर्देश दिया था कि वे एक हफ्ते में हलफनामा दाखिल कर बताएं कि उन्होंने वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए क्या कदम उठाए हैं। साथ ही कहा था कि कोर्ट इस बात की निगरानी करेगा कि मामले में क्या हो रहा है। वहीं सुप्रीम कोर्ट में प्रदूषण के आकलन के लिए जिला स्तर पर एक स्थायी विशेषज्ञ समिति गठित करने की मांग वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है।
CJI चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि ये पूरी तरह से नीतिगत मामला है। उन्होंने कहा कि क्या आपको लगता है कि अगर देश भर के सभी जिलों में समितियां होंगी तो प्रदूषण खत्म हो जाएगा। बाद में याचिकाकर्ता के वकील ने जनहित याचिका वापस ले ली। WHO के मुताबिक 0 से 50 के बीच का AQI सुरक्षित माना गया है। इस हिसाब से एवरेज AQI 25 होना चाहिए। यानी इस समय दिल्ली की हवा WHO की तय सीमा से 20 गुना ज्यादा प्रदूषित है, क्योंकि इसका AQI 470 के आस-पास है।