
देश में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर मंथन शुरू हो गया है. मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है. ऐसे में मोदी सरकार की नजर राष्ट्रपति चुनाव के तमाम समीकरणों के साथ ही 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों पर भी है. ऐसे में भाजपा राष्ट्रपति पद के लिए आदिवासी उम्मीदवार उतारने पर विचार कर रही है. अगर ऐसा हुआ तो देश को पहला आदिवासी राष्ट्रपति मिलेगा.(President of the country)
इन नामों की चर्चा
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रपति चुनाव के लिए छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनसुईया उइके, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, जुएल उरांव, पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के नाम चर्चा में है. वही अगर ऐसा हुआ तो वेंकैया नायडू और राजनाथ सिंह जैसे नाम दौड़ से बाहर हो जाएंगे.
विपक्षी दल कैसे साथ देने पर मजबूर होंगे?
बता दें कि महाराष्ट्र में लोकसभा की 4 और विधानसभा की 25 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं. ऐसे में शरद पवार की एनसीपी और शिवसेना के उद्धव ठाकरे के लिए एनडीए के आदिवासी उम्मीदवार का विरोध करना मुश्किल होगा. झारखंड में भी लोकसभा की 5 और विधानसभा की 28 सीट एसटी (ST) के लिए आरक्षित हैं. इस लिए कांग्रेस की गठबंधन वाली झामुमो इसका विरोध नहीं कर पाएगी. ओडिशा में लोकसभा की 5 और विधानसभा की 28 सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं. लिहाजा यहां भी नवीन पटनायक आसानी से एनडीए उम्मीदवार का साथ दे सकते हैं.
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गुजरात चुनाव पर भाजपा की नजर ?
वहीं माना जा रहा है कि बीजेपी राष्ट्रपति चुनाव के जरिए गुजरात विधानसभा चुनाव में अपनी साख बचाने की जुगत में है. चुनावी गणित के लिहाज से देखें तो गुजरात में भी आदिवासी वोटबैंक काफी मायने रखता है. माना जाता है कि 180 में से कम से कम 27 सीटों पर ये आदिवासी समुदाय ही जीत-हार तय कर जाता है. 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को अच्छा खासा आदिवासी वोट मिला था, लिहाजा मोदी सरकार राष्ट्रपति पद के लिए आदिवासी उम्मीदवार को उतार कर अपनी चुनावी गणित को साधने की कोशिश कर सकती है.(President of the country)