भारत के प्रथम व्यक्ति के चुनाव की उदघोषणा शीघ्र होने वाली है,वर्तमान राष्ट्रपति माननीय रामनाथ कोविंद का कार्यकाल २५ जुलाई को समाप्त होने जा रहा है एनडीए व् विपक्ष सहित सभी राजनीतिज्ञ दल सक्रिय हो गए है !एनडीए ने जहाँ अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है लेकिन विपक्ष ने अपने उम्म्मीद्वार को खड़ा करने की पूरी तैयारी कर ली है !हाल ही में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अगवाई में विपक्ष की बैठक का आयोजन किया गया था जिसमे एनसीपी प्रमुख शरद पवार ,शिवसेना के उद्धव ठाकरे सहित १५ विपक्षी दलों ने इसमें शिरकत की थी !(Presidential election started)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह की अगुवाई वाली टीम भी राष्ट्रपति के पद के उम्मीदवार के चयन में जुटी है! ज्ञात हो की राष्ट्रपति का चयन हर पांच वर्षों के उपरान्त अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली के द्वारा होता है !भारतीय इतिहास में अब तक केवल एक ही राष्ट्रपति निर्विरोध चुने गए हैं,जो १९७७ में नीलम संजीव रेड्डडी थे ,बाकी सभी प्रत्याशी चुनाव द्वारा ही चयनित हुए है!वर्तमान में विपक्षी दलों को साधने की कवायद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को सौपी गई है !
राष्ट्रपति के चुनाव में मुख्य विपक्षी दलों में आप,वाईएसआरकांग्रेस,बीजू जनता दल ,बसपा आदि राष्ट्रपति चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले है इन सभी दलों ने विपक्ष की आयोजित बैठक से अपनी दूरी बनाई रखीं थी ! उक्त चुनाव भी रोचक होने वाला है ! रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने ममता बनर्जी और मायावती से फ़ोन पर चर्चा करके चुनाव में सहयोग माँगा है जिस पर दोनों का एक ही जवाब था की प्रत्याशी कौन होगा और किस पार्टी से होगा !यदि प्रत्याशी सभी राजनितिक दलों का लोकप्रिय होगा तब सभी विपक्षी दल बैठक करके एक सम्मत निर्णय से अपनी स्वीकृति की घोषणा करेंगे ! रक्षामंत्री ने उनको आश्वासन दिया है की जल्दी ही प्रधानमंत्री की अगुवाई वाली बैठक में प्रत्याशी की घोषणा करेंगे ,निश्चित रूप से वह सर्वदल लोकप्रिय नेता होगा,साथ ही विपक्ष को अपनी पसंद के नेता का नाम भी देने को कहा है! ममता बनर्जी ने एनसीपी नेता शरद पवार का नाम आगे किया था पर उन्होने यह कहकर इंकार कर दिया की उन्होने अभी सक्रिय राजनीति से संन्यास नहीं लिया है! यूपीए की अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गाँधी के कोरोना पॉजिटिव होने के कारण वह उक्त बैठक में शामिल नहीं हो पाई थी अब विपक्ष की अगली बैठक २२ जून को होनी है !
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ज्ञातव्य हो की राष्ट्रपति का उम्मीदवार परम्परा अनुसार राजनीतिज्ञ रूप से सक्रिय राजनीति से संन्यास ले चुके या सत्ता पक्ष से किसी वरिष्ठ नेता का चुनाव किया जाता है !वर्तमान राष्ट्रपति अनुसूचित जाति से आते है जो उत्तरप्रदेश से हैं चूँकि २०१७ में योगी आदित्यनाथ ने प्रचंण्ड व ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी! उक्त चुनाव जितवाने में अनुसूचित जाति व पिछड़ा वर्ग की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी ,अब पुनः एक बार सभी वर्गों के समीकरणों को साधने की कवायद में सत्ता पक्ष जुट गया है !२०२२-२०२३ में गुजरात सहित मध्यप्रदेश ,राजिस्थान,छत्तीसगढ़ ,कर्नाटक ,तेलंगाना ,त्रिपुरा ,मेघालय ,नागालैंड व मिजोरम सहित ९ राज्यों में चुनाव सम्पन्न होने वाले है उक्त राज्यों में ओबीसी व आदिवासी जातीयगत समीकरण अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका विधानसभा चुनाव में अदा करेंगे! इसमें राजिस्थान ,मध्यप्रदेश ,कर्नाटक, गुजरात व तेलंगाना जैसी बड़ी विधानसभाओं वाले राज्य भी है जहाँ ओबीसी व आदिवासी जातीयगत बहुलता है!उक्त समीकरणों के आधार पर ही उम्मीदवार का चुनाव हो सकता है!
बीजेपी गठबंधन जहाँ अपने प्रमुख उम्मीदवार के रूप में आनंदी बेन पटेल ,नंदकुमार साय,के रूप में पिछड़ा वर्ग और आदिवासी वर्ग का कार्ड खेल सकती है वहींअन्य वरिष्ठ नेताओ में लाल कृष्ण
आडवाणी व डॉ.मुरली मनोहर जोशी जैसे दिग्गज भी लाइन में हैं! यूपीए गठबंधन ने अपने एक अन्य महत्त्वपूर्ण प्रत्याशी डॉ. फारूख अब्दुल्ला के नाम पर अपनी सहमति बना रही है क्योँकि जम्मू-कश्मीर में भी धारा -३७० की समाप्ति के पश्चात चुनाव होने है ! वहां भी चुनाव आयोग ने परिसीमन की घोषणा कर दी है!जाहिर है की सत्ता पक्ष वहां भी अपनी जीत पक्की करना चाहेगा !इस प्रकार उक्त व्यवस्था का चुनावी संजाल बन रहा है जो इस बार के चुनाव को काफी रोचक और रोमांचक बनाने वाला है अब देखना ये है की ऊंट किस करवट बैठता है !(Presidential election started)
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