
निष्क्रिय सरकारी कर्मचारी के खिलाफ दिल्ली सरकार एक्शन मोड पर आ गई है। सरकार ने अब इन कर्मचारियों को जबरन सेवानिवृत्त देने का फैसला किया है। बताया जा रहा है कि भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे अधिकारियों खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश के बाद अब उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सनेना ने निष्क्रिय सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ एक्शन लेने का निर्देश दिया है। इसके लिए एक कमेटी का गठन किया गया है, जिसके रिपोर्ट के आधार पर फैसला लिया जाएगा.
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forcibly retired to Employees उपराज्यपाल के निर्देश के बाद वित्त विभाग की एचआरडी कैडर नियंत्रण इकाई ने सभी विभागों के प्रमुखों को सर्कुलर जारी किया है। इसे अति आवश्यक बताते हुए निर्धारित प्रारूप में कर्मचारियों से जुड़ी जानकारी देने को कहा गया है। समीक्षा के जरिये ऐसे लोगों को चिह्नित किया जाए, जो कि बिल्कुल काम नहीं कर रहे। उन्हें प्राथमिकता के आधार पर जबरन रिटायर किया जाए। इस संबंध में हर महीने की 15 तारीख तक ऐसे कर्मचारियों की तय प्रारूप के तहत जानकारी देने के साथ उसपर क्या कार्रवाई की गई उसकी रिपोर्ट सेवा विभाग को देनी होगी। आदेश के मुताबिक, इसमें उन कर्मचारियों को प्राथमिकता के आधार पर शामिल किया जाएगा जो कि 50 से 55 साल की उम्र के करीब हों या 30 साल की सेवा दे चुके हों.(forcibly retired to Employees)
सेवानिवृत्ति के मानक
दिल्ली सरकार में तैनात ऐसे कर्मचारी जिनकी कामकाज के प्रति सत्यनिष्ठा संदिग्ध हो।
ऐसा कर्मचारी जो कि अप्रभावी हो, कामकाज नहीं कर रहा है।
कर्मचारी जिस पद पर तैनात है वह उसके लिए उपयोगी या पूरी तरह से फिट है कि नहीं, इसकी पुष्टि जांच होने पर।
कर्मचारी को बीते पांच साल में प्रमोशन मिला है लेकिन उसकी गतिविधि संदिग्ध है तो.