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रूस शीत युद्धकालीन सुरक्षा समझौते से बाहर हुआ, संधि टूटने के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया

मास्को: रूस शीत युद्ध के दौर के एक अहम सुरक्षा समझौते से खुद के बाहर होने का इरादा जाहिर करने के आठ साल बाद मंगलवार को इससे अलग हो गया। विदेश मंत्रालय ने यह जानकारी दी। ‘यूरोप में पारंपरिक सशस्त्र बल संधि’ की राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा ंिनदा करते हुए प्रस्तावित विधेयक को रूसी संसद ‘ड्यूमा’ के दोनों सदनों द्वारा मंजूरी दिये जाने के बाद यह घटनाक्रम हुआ।

संधि का लक्ष्य पारस्परिक सीमाओं पर या उसके पास सैनिकों को जमा करने से शीत युद्ध के प्रतिद्वंद्वी देशों को रोकना था। संधि पर नवंबर 1990 में हस्ताक्षर किए गए थे लेकिन इसके दो साल बाद तक इसका पूर्ण अनुमोदन नहीं किया गया था। रूस और अमेरिका की भागीदारी वाले शीत युद्ध के दौर की कई बड़ी संधियों में से यह एक है, जिन्हें हाल में समाप्त किया गया है।

रूस ने 2007 में अपनी भागीदारी रोक दी थी, और समझौते से पूरी तरह से बाहर होने के अपने इरादे की 2015 में घोषणा की थी। फरवरी 2022 में, मास्को ने पड़ोसी देश यूक्रेन में हजारों सैनिक भेजे थे। यूक्रेन की सीमा उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के सदस्य देशों पोलैंड, स्लोवाकिया, रोमानिया और हंगरी से लगी हुई है।

मंगलवार को, मंत्रालय ने कहा कि संधि से औपचारिक रूप से बाहर होने की प्रक्रिया पूरी हो गई है। इसने अमेरिका और इसके सहयोगी देशों को अपने इस कदम के लिए जिम्मेदार ठहराया। इसने कहा, ‘‘हमने यूरोप में पारंपरिक शस्त्र नियंत्रण की व्यवहार्यता को बहाल करने के तरीकों पर वार्ता के लिए द्वार खुले रखे थे। लेकिन हमारे विरोधियों ने इस अवसर का लाभ नहीं उठाया।’’

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