देशबड़ी खबर

रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार…

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने ‘रामसेतु’ को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने और उक्त स्थान पर एक दीवार के निर्माण का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली याचिका पर विचार करने से मंगलवार को यह कहकर इनकार कर दिया कि ये सरकार के लिए प्रशासनिक मामला है. ‘रामसेतु’ को ‘एडम ब्रिज’ के नाम से भी जाना जाता है. यह तमिलनाडु के दक्षिण-पूर्वी तट पर पंबन द्वीप और श्रीलंका के उत्तर-पश्चिमी तट पर मन्नार द्वीप के बीच है.

याचिका न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई थी. यह याचिका हिंदू पर्सनल लॉ बोर्ड संगठन ने अपने अध्यक्ष अशोक पांडे के माध्यम से दायर की थी. पांडे एक वकील भी हैं. उन्होंने पीठ को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर एक याचिका के बारे में भी सूचित किया जो शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित है. अपनी याचिका में स्वामी ने ‘रामसेतु’ को एक राष्ट्रीय धरोहर स्मारक के तौर पर घोषित करने के लिए केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध किया है.

पांडे ने पीठ से अनुरोध किया कि बोर्ड द्वारा दायर याचिका को स्वामी की लंबित याचिका के साथ नत्थी किया जाए. पीठ ने कहा, ”अगर यह (याचिका) लंबित है तो लंबित है. आप क्या चाहते हैं?” जब उन्होंने उक्त स्थान पर दीवार के निर्माण के लिए निर्देश देने के अनुरोध संबंधी अपनी याचिका का जिक्र किया तो पीठ ने कहा, ”दो तरफ दीवार का निर्माण कैसे किया जा सकता है?” शीर्ष अदालत ने कहा, ”क्या यह करना अदालत का काम है? ये सरकार के लिए प्रशासनिक मामले हैं. हमें इसमें क्यों पड़ना चाहिए?” पीठ ने याचिकाकर्ता की याचिका को लंबित याचिका के साथ नत्थी करने के उसके अनुरोध को मानने से इनकार कर दिया.

पीठ ने याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा, ”हम भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत किसी भी प्रकार का निर्देश देने के लिए अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने के इच्छुक नहीं हैं जैसा कि याचिकाकर्ता चाहता है.” बोर्ड द्वारा दायर याचिका में शीर्ष अदालत से ‘रामसेतु’ स्थल पर दीवार बनाने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. इसमें प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के प्रावधानों के तहत ‘रामसेतु’ को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने के लिए निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button