मुंबई/संभाजीनगर: शिव सेना (यूबीटी) के नेता आदित्य ठाकरे ने सोमवार को भरोसा जताया कि अगले महीने होने जा रहे विधानसभा चुनावों में सभी पांच राज्यों के लोग विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के लिए वोट करेंगे. ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) विपक्षी दलों का गठबंधन है जिसका गठन वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(राजग) से मुकाबला करने के लिए हुआ है.
निर्वाचन आयोग ने सोमवार को कहा कि छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में सात नवंबर से 30 नवंबर के बीच विभिन्न तिथियों पर विधानसभा चुनाव कराए जाएंगे और सभी पांच राज्यों में मतों की गिनती तीन दिसंबर को होगी.
इसी के साथ वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए मंच तैयार हो गया है. मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने नयी दिल्ली में एक प्रेसवार्ता में कहा कि इन विधानसभा चुनावों में करीब 16 करोड़ लोग अपने मताधिकार का उपयोग कर सकेंगे.
कांग्रेस राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सत्तारूढ़ है. मध्य प्रदेश में भाजपा, तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति और मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट की सरकार है. आदित्य ठाकरे ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट में कहा, ” भारत के लोग उन लोगों को वोट नहीं देंगे जो दरार डालते हैं और जिनका लक्ष्य संविधान बदलना और हमारे लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाना है. ये लोग विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ द्वारा शांति, समृद्धि और प्रगति सुनिश्चित किये जाने के लिए वोट करेंगे.”
दवाओं की खरीद प्रक्रिया को विकेंद्रीकृत किया जाना चाहिए: आदित्य ठाकरे छत्रपति
शिवसेना (यूटीबी) के नेता आदित्य ठाकरे ने सोमवार को कहा कि सरकारी अस्पतालों के लिए दवाओं की खरीद की प्रक्रिया को विकेंद्रीकृत किया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि इस कार्य के लिए नियुक्त प्राधिकारी किसी के “स्वार्थ” के लिये काम नहीं करे. वह यहां सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल का दौरा करने और डीन व अन्य अधिकारियों के साथ बातचीत के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे.
छत्रपति संभाजीनगर (पूर्व में औरंगाबाद), नांदेड़ और नागपुर में सरकारी अस्पतालों में 30 सितंबर के बाद अल्प अवधि में कई मरीजों की मौत हो गई, जिससे शिवसेना (यूबीटी) और अन्य विपक्षी दलों ने कथित अक्षमता और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए एकनाथ शिंदे सरकार की आलोचना की. उन्होंने कहा, ह्लहम विधानसभा सत्र के दौरान इस मुद्दे (स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और मरीजों की मौत) को उठाएंगे. साथ ही, दवाओं की खरीद के विकेंद्रीकरण की आवश्यकता है. यह भी देखा जाना चाहिए कि दवा खरीद के लिए नियुक्त प्राधिकारी किसी के स्वार्थ के लिये काम नहीं करे.”