छत्तीसगढ़ म बरी कई परकार के बनथे आज हमन जानबो रखिया बरी बनाय के बिधी

RJ NEWS – रखिया बरी बनाय के बिधी– कोहड़ा, पेठा चाहे रखिया जेन भी कह लेवा ए ह कद्दू परजाति के एक ठि फर होए।

एकर लम्मा लम्मा नार होथे,फूल ह पिंवरा, पान ह चउड़ा अउ फर ह बड़का, गोलवा, हरियर अउ पाके के बाद म सादा राख बागिर होथे।
हमर गांव घर के छानही मन म एकर नार मन दुरिहा दुरिहा ले बगरे रईथें।
कई सदी ले ए फर ह आयुर्वेदिक दवई बर उपयोग होवत आत हे।
ए फर म 96 प्रतिसत तो पानीच ह रइथे त एमा कैलोरी, वसा अउ प्रोटीन नई रहए फेर एमा भारी मात्रा म पाचक फाइबर रथे जेहा हमर सरीर बर अबड़ेच लाभकारी हे।
वइसे तो रखिया के बहुत परकार के चीज बनथे जइसे कि पेठा, साग, सलाद।
बिहने खाली पेट म एकर पानी ह बहुत फायदा करथे।

लेकिन हमर छत्तीसगढ़ राज्य म एकर बरी ह बिसेस रूप से बनथे।
रखिया बरी
रखिया के बरी ह बड़े अकार के बाहिर ले ठिन्ना अउ अंदर ले फोसवा रइथे।
पहिली जमाना म जब घर म कछु साग भाजी नई रहय त अइसनहे बरी मन ल बना-बना के राखे रहंय अउ पताल नइ त आलू के संग म रांधय।
आज काल बरी ल आलू, बटर(मटर), मुनगा, झुनगा नई त भाजी मन के संग म रांधथें।
कतको झन मन एला आगी म भूंज के पताल के चटनी संग घलोक पीस लेथें।
कइसनहो बना लेवै फेर एकर सुवाद के कोनो जवाबेच नई हे।
छत्तीसगढ़ म बरी कई परकार के बनथे,
जइसे रखिया, मुरई, पपीता, ढेंस कांदा आदि जेमन ल उरीद के दार म मिला के खोंटथें।
आज हमन आपमन ल रखिया बरी बनाए के बिधि ल बताबो।
वइसे रखिया के जघा पपीता, मखना या मुरई के गुदा ल घलोक डार सकत हें फेर बिधि ह ओइच हे।
कइसे बनथे रखिया बरी
जिनिस:
1ठ बड़े अकार के पक्का रखिया
2 किलो उरीद दार (धोवाय या छिलका वाला)
10-12 ठ मिर्चा आउ एक जूरी धनिया
नून
साड़ी के टुकड़ा या नान मून गउंछि
घिसे बर किसनी/ घिसनी या करोनि
खटिया या पर्रा

रखिया पीस
बरी बनाय के तियारी

रखिया के टुकड़े
सबले पहली रखिया ला परसुल म छोट छोट कुटी चान के पानी म बोर लेथे जेमा की घिसे के बेर म कोनो परेसानी झन होवय आउ रखिया चानी ह बढ़िया धोवा जाय।
तहां ले रखिया के चानी ल घिसनी में चाहे करोए के करोनि में घिस-करो लेथें
आउ एक ठन झेंझरी टुकनी म मढ़ात जाथें जेमा की ओकर पानी ह निथर जाए ।
रखिया का करि निचोड़ना
सब्बो रखिया चानी ल करोए के गए ले एक ठन पातर सूती पटकु चाहे गउछि चाहे लुगरा के टुकड़ा असन म करी ल लपेट के एक घ नीचो के झेंझरी टुकनी म मढ़ा के ओकर ऊपर ले लोढ़ा चाहे ओइसनहे कुछु गरु चीज ला लदके देथें।
तहां टुकनी ला बाल्टी चाहे खंचवा बर्तन के ऊपर म मढ़ा देथें

जेमा पानी ह निथरे त एति-ओति ढुल झन जाए।
रखिया किसना
अब रात भर म जतका पानी झरना हे ते ह झर जाए।
संगे-संग उरीद के दार ला घलोक रथिया कन पानी मे फिंजो दिए रइथें।

उरद दाल
तिहा होवत बिहान के उरीद के दार ल बने हाथ म रगड़-रगड़ के धोथें जेमा की ओकर छिलका ह निकल जाए।
(धोवाय दार माने बिना छिलका वाला दार म ओतका मेहनत करे ब नई परय अउ बरी ह उज्जर दिखथे,
लेकिन गांव मन म कई साल ले छिलका दार के बरी बनाय के परंपरा ह चलत आत हे एकरे ले ओकरेच बरी ल बनाथें)।
अब दार ल सील-लोढ़ा म पीसथें आउ नई सके ले मसीन म घलोक पिसा जाथे।
तिहा ले रखिया के ओ करि ला जेला रात भर लदक के मढ़ाए रइथें तेन ला थोर-थोर कर के कपड़ा म हाथ म मसक मसक के निचोथें।
तेमा जेतका पानी बाचे रइथे तेन ह निथर जाए।
दार के फेंटाई

उरद दाल फेंटना
तेकर ले पिसाए दार (पीठी) म मस्त लम्मा लम्मा रेसेदार निचोवाए करी ला मिनझार के बने सादा के होत ले फेंटथे अउ एक ठन बटकी म रखिया के निकले पानी ल लेहे रइथे।
रखिया के पानी म पीठी ल साने ले बरी ह उज्जर बनथे।
करी को दाल में मिलाना

बरी ल बनाय ब दार के फेंटाई ह एतका जरूरी हे कि ओकर बिना बरी ह नई बन पाए।
हमर बरी ह कइसना बनही तेहा पूरा पूरा दार के फेंटाई के ऊपर रथे।
अगर ओहा बने नई फेंटाय रही त बरी ह एकदम चेम्मर हो जाहि अउ एको नई मिठाहि।
जब दार ह एकदम मस्त फेंटा जाही तब पानी म फेंटाए पीठी ला डार के देखथें।
अगर पीठी ह उफला जाथे त ओ ह बरी बनाए के लइक हो जाथे अउ नहीं त ओला आउच फेंटे ब लागही।
रखिया बरी के खोंटई
रखिया बरी

करि आउ पीठी के बुता होए के गए ले अब पारी हे बरी खोटे के।
बरी बनाए ब बिहनिहा के घाम म बनाए ले दिन भर घाम पाके बरी ह संझा के होत ले सथा जाथे ।
तेकरे ब बरी ल सूत बिहनचे बनाथें।
बरी खोंटे ब सादा के कपड़ा ह ठीक रइथे काबा की सादा कपड़ा मन म बनाए म बरी ह सादा बने उज्जर बनथे।
तेकर ब एक ठन सादा सूती के कपड़ा ल पर्रा म चाहे खटिया म दसा लेथे तेकर ले बरी ल खोटत जाथें।
बरी ल भुइँया म कर के नई बनाना चाही काबर कि बरी ह नीचे कति ले हवा नई पावय त नीचे कति ले थोर-थोर भूकड़िया जाथे।
अब हमर बरी ह बन गे जी। अब ओला दिन भ के घाम ल देखाना हे।