मध्य प्रदेश: जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, मध्य प्रदेश में सियासी पारा बढ़ता जा रहा है. 17 नवंबर को होने वाले चुनाव के लिए प्रदेश में चुनाव प्रचार जोरों पर है. अलग-अलग दलों के बड़े नेता रैली और जनसभा में वोटरों को लुभाने में लगे हैं.
बीजेपी और कांग्रेस ने तो अपने राष्ट्रीय स्तर के नेताओं को भी मैदान में उतार रखा है. यह तस्वीर पूरे प्रदेश की है. इन सबके बीच चुनाव प्रचार की एक और तस्वीर है जिसमें न तो रैली व जनसभा है और न ही कोई राष्ट्रीय स्तर का नेता है. यहां डोर टु डोर जाकर वोट मांगने वाला चंबल का पूर्व डकैत है. हम बात कर रहे हैं शिवपुरी के चुनावी माहौल की.
लोगों के बीच रॉबिन हुड जैसी है छवियहां कभी चंबल के खूंखार डकैत रहे 81 साल के मलखान सिंह कांग्रेस के लिए प्रचार करते दिख रहे हैं. माथे पर तिलक और गालों पर चौड़ी मूंछें रखे मलखान सिंह की छवि रॉबिन हुड वाली है. वह घर-घर जाकर लोगों से कांग्रेस प्रत्याशी के लिए वोट करने की अपील कर रहे हैं. जिला शिवपुरी के ठाकुर बहुल गांव खिरया में चुनाव प्रचार के उनके कई फोटो सामने आए हैं.ठाकुर बहुल क्षेत्र में प्रचार की जिम्मेदारीमध्य प्रदेश कांग्रेस ने मलखान सिंह को ठाकुर बहुल ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी है, जिसमें 34 विधानसभा सीटें शामिल हैं. 34 में से कम से कम 20 सीटों पर बड़ी संख्या में ठाकुर मतदाता हैं, जिनमें परिहार वंश भी शामिल है, जिससे मलखान सिंह आते हैं
.करेरा सीट पर ठाकुर किंगमेकर की भूमिका मेंइस हफ्ते की शुरुआत में मलखान सिंह भिंड में विपक्ष के नेता डॉ. गोविंद सिंह के नामांकन के दौरान उनके साथ नजर आए थे. उनके खिरया गांव की जिम्मेदारी आरक्षित अनुसूचित जाति सीट करेरा से मौजूदा कांग्रेस विधायक प्रागीलाल जाटव के पक्ष में परिहार वोटों को एकजुट करने की वजह से भी दी गई है. इस निर्वाचन क्षेत्र में ठाकुर किंग-मेकर की भूमिका निभाते हैं.
खुद भी लड़ चुके हैं दो बार चुनाव, पर नहीं मिली जीतबता दें कि मलखान सिंह ने 1998 और 2003 में करेरा से दो बार विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन असफल रहे. बाद में वह ठाकुर और गुर्जर समुदायों से मिले लगभग 14,000 वोटों के साथ चौथे स्थान पर रहे. दरअसल, 1989 में जेल से रिहा होने के बाद से मलखान सिंह ने कई बार पार्टियां बदलीं. 1990 के दशक में वह समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे.