आखिर शुभ क्यों है नाग पंचमी का दिन, व क्या कुछ खास किया जाता है इस दिन…
Nag Panchami is a major festival of Hindus नाग पंचमी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह की शुक्ल पक्ष के पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता या सर्प की पूजा की जाती है और उन्हें दूध से स्नान कराया जाता है। लेकिन कहीं-कहीं दूध पिलाने की परम्परा चल पड़ी है।
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नाग पंचमी की पूजा विधि
Nag Panchami is a major festival of Hindus नाग देवता का आह्वान कर उन्हें बैठने के लिए आसन दें। इसके बाद जल, पुष्प और चंदन का अर्घ्य दें। दूध, दही, घी, शहद और चीनी का पंचामृत बनाकर नाग प्रतिमा को स्नान कराएं। प्रतिमा पर चंदन, गंध से युक्त जल चढ़ाकर नाग देवता को लड्डू और मालपुए का भोग लगाएं।
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नाग पंचमी के पीछे की कहानी क्या है
Nag Panchami is a major festival of Hindus नाग पंचमी को कालिया पर कृष्ण की जीत के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जो कृष्ण से पहले अपने जीवन के बदले मनुष्यों को परेशान नहीं करने के लिए सहमत हुए थे । इस दिन व्रत रखा जाता है। इस दिन की जाने वाली पवित्रता को सर्पदंश के भय से निश्चित सुरक्षा माना जाता है।
भारत देश कृषिप्रधान देश हैं सांप खेतों का रक्षण करता है, इसलिए उसे क्षेत्रपाल कहते हैं। जीव-जंतु, चूहे आदि जो फसल को नुकसान करने वाले तत्व हैं, उनका नाश करके सांप हमारे खेतों को हराभरा रखता है। साँप हमें कई मूक संदेश भी देता है। साँप के गुण देखने की हमारे पास गुणग्राही और शुभग्राही दृष्टि होनी चाहिए। भगवान दत्तात्रय की ऐसी शुभ दृष्टि थी, इसलिए ही उन्हें प्रत्येक वस्तु से कुछ न कुछ सीख मिली।
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Nag Panchami is a major festival of Hindus साँप सामान्यतया किसी को अकारण नहीं काटता। उसे परेशान करने वाले को या छेड़ने वालों को ही वह डंसता है। साँप भी प्रभु का सर्जन है, वह यदि नुकसान किए बिना सरलता से जाता हो, या निरुपद्रवी बनकर जीता हो तो उसे मारने का हमें कोई अधिकार नहीं है। जब हम उसके प्राण लेने का प्रयत्न करते हैं,
Nag Panchami is a major festival of Hindus तब अपने प्राण बचाने के लिए या अपना जीवन टिकाने के लिए यदि वह हमें डँस दे तो उसे दुष्ट कैसे कहा जा सकता है? हमारे प्राण लेने वालों के प्राण लेने का प्रयत्न क्या हम नहीं करते? साँप को सुगंध बहुत ही भाती है। चंपा के पौधे को लिपटकर वह रहता है या तो चंदन के वृक्ष पर वह निवास करता है। केवड़े के वन में भी वह फिरता रहता है। उसे सुगंध प्रिय लगती है, इसलिए भारतीय संस्कृति को वह प्रिय है। प्रत्येक मानव को जीवन में सद्गुणों की सुगंध आती है, सुविचारों की सुवास आती है, वह सुवास हमें प्रिय होनी चाहिए ।