डोंगरगढ़: चुनावी वर्ष में सियासत के कई रंग देखने को मिलते हैं. चुनाव लोकसभा सदस्य का चल रहा है, लेकिन उलझने डोंगरगढ़ नगर पालिका अध्यक्ष की बढ़ी हुई है. पिछले नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस ने जोड़ तोड़ करके दो वोटों की बढ़त से अध्यक्ष सुदेश मेश्राम और उपाध्यक्ष निर्दलीय पार्षद उमामहेश वर्मा को बनाया था. अब पालिका उपाध्यक्ष के साथ एक और निर्दलीय पार्षद अलका सहारे के बीजेपी में शामिल होने से डोंगरगढ़ नगर पालिका में कांग्रेस की शहर सरकार पर ख़तरा मंडराने लगा है.
दरसल नगरीय निकाय चुनाव 2019 में डोंगरगढ़ की 24 सीटों में कांग्रेस के दस, भाजपा के ग्यारह और तीन निर्दलीय पार्षद चुनकर आए थे. बीजेपी एक ज़्यादा पार्षद जीतने के बावजूद अपना अध्यक्ष उपाध्यक्ष बनाने में नाकाम रही थी. भाजपा के नेता प्रतिपक्ष बताते हैं कि सत्ता के दबाव में उस समय क्रॉस वोटिंग हुई थी और कांग्रेस के सुदेश मेश्राम ने 2 वोटों से जीत हासिल की थी. उस समय भाजपा ने यहां पर निर्दलीय महिला पार्षद अनीता इंदुलकर को अपना उम्मीदवार बनाया था.
भाजपा के पास अब 14 पार्षद
पिछला पालिका अध्यक्ष का चुनाव काफी गहमागहमी भरा रहा. दोनों ही दलों के पास बहुमत नहीं होने से जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा था, लेकिन क्रॉस वोटिंग की वजह से कांग्रेस को यहां पर सफलता मिली थी. वर्तमान स्थिति में दो निर्दलिय पार्षदों के भाजपा प्रवेश से नगर पालिका परिषद में भाजपा का पलड़ा भारी होता दिखाई दे रहा है. कांग्रेस के वार्ड नंबर 16 के पार्षद बलदेव यादव के निधन के बाद शहरी सरकार में कांग्रेस के 9 ही पार्षद बचे हैं. वहीं उमा महेश और अलका सहारे के भाजपा प्रवेश करने से भाजपा पार्षदों की संख्या बढ़कर 14 हो गई है.
आचार संहिता हटते ही नगर पालिका में होगा भाजपा का कब्जा : छाबड़ा
नगर पालिका डोंगरगढ़ के भाजपा नेता प्रतिपक्ष अमित छाबड़ा का कहना है कि कांग्रेस की गुंडागर्दी के कारण हम अभी तक शहर सरकार नहीं बना पा रहे थे, लेकिन आचार संहिता हटते ही डोंगरगढ़ नगर पालिका में भाजपा की सरकार बनेगी. अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों ही भाजपा के होंगे.