
मनरेगा कर्मिंयो के माह अप्रेल-मई की भीषण गर्मी में 66 दिन के लंबे हड़ताल और संघर्ष के बाद मंत्री कवासी लखमा ने हडताली मंच पर जाकर 5 माह में मांगे पुरी करने का वादा कर हड़ताल स्थगित कaरवाया था। जिन मुद्दों में कर्मचारियों एवं सरकार की सहमति बनी थी उनमें से एक भी मांग पूरी न होने के साथ-साथ इसके विपरीत लगातार बढ़ते प्रषानिक दबाव और राज्य स्तर से नियमों के तोड़-मरोड़ करने से क्षुब्ध मनरेगा.
MNREGA workers will take out Nyay Yatra- र्मचारी 24 दिसंबर को प्रदेष के 5 संभाग क्रमषः रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, बस्तर और सरगुजा में रैली निकालकर मुख्यमंत्री के नाम संभाग आयुक्त को ज्ञापन सौपेंगे। ये कर्मचारी अल्प वेतनमान, बिना किसी सामाजिक सुरक्षा और कभी भी नौकरी से निकाले जाने के भय से मानसिक रूप से संघर्ष करते आ रहे हैं। सरकार की बेरूखी और प्रषासनिक उच्च अधिकारियों की दबावगत नीतियों के विरूद्ध इस यात्रा को इन्होंने न्याय यात्रा का नाम दिया है।
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MNREGA workers will take out Nyay Yatra- छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के प्रांताध्यक्ष अषोक कुर्रे ने बताया कि हड़ताल स्थगन के 6 माह बाद भी हमारी एक भी मांग को सरकार से गंभीरता नहीं दिखाई। हड़ताल अवधि का वेतन सहित दो सूत्रीय मांग क्रमषः रोजगार सहायकों का वेतनमान निर्धारण और जब तक नियमितिकरण नहीं किया जाता तब तक समस्त मनरेगा कर्मचारियों को पंचायतकर्मी का दर्जा दिए जाने हेतु सहमति बनी थी। मांगे तो पूरी नहीं हुई इसके विपरीत प्रषासनिक दबाव और शोषण जरूर बढ़ गया है। जिससे सभी कर्मचारी क्षुब्ध हैं। इसके लिए महासंघ ने निर्णय लिया न्याय यात्रा के माध्यम से सरकार से गुहार लगायेंगे।
महासंघ के कार्यकारी अध्यक्ष राधेष्याम कुर्रे ने बताया कि 5000 में रोजगार सहायक इस महंगाई में कैसे अपना घर चला रहे हैं किसी ने नहीं सोचा। माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन है कि हमारी मांगों को संज्ञान में लेते हुए जल्द कार्यवाही करें। अपनी मांगों के संबंध में हम संघर्ष करने को मजबूर हैं।
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