रायपुर: श्री अनिरुद्धाचार्य जी महाराजश्री की अवधपुरी मैदान गुढ़ियारी में स्व. सत्यनारायण बाजारी (मन्नू भाई) जी की पुण्य स्मृति में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पंचम् दिवस महाराजश्री द्वारा प्रभु गौरी-गोपाल जी को पुष्प माला अर्पित कर आरती से आरंभ की गई. कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण बोशा-महल हैदराबाद के प्रखर हिन्दूवादी विधायक टी. राजा जी रहे. भारी बारिश के बावजूद लाखों कथा प्रेमी स्थल में डटे रहे. डोम पंडाल के कारण श्रोताओं को तकलीफ नहीं हुई.
विधायक टी. राजा ने अपने चिर-परिचित ओजस्वी उदबोधन में महाराजश्री का स्वागत करते हुए धर्मान्तरण पर प्रहार कर उपस्थितजनों को हिन्दुत्व के प्रति जागरुक किया. उन्होंने प्रदेश सरकार से भी इस विषय पर सख्त कानून बनाने की मांग की. उन्होंने देशव्यापी संगठन खड़ा कर हिन्दू राष्ट्र की दिशा में कार्य करने का मंच से संकल्प लिया. महाराजश्री ने टी. राजा को स्मृति चिन्ह भेंटकर एवम् श्रीकृष्णनामी केसरिया पटका पहना कर सम्मानित किया. नंद भवन में उड़ रही धूल… धूल मोहे प्यारी लगे… इस भजन में हजारों श्रद्धालु झूमते-नाचते रहे. कथा का आरंभ करते हुए महाराजश्री ने कहा कि सांसारिक मोह-माया के कारण हम प्रभु से विरक्त होते चले जाते हैं.
उन्होंने गधे और खूंटे, भंगेड़ी और नाव की कहानी के माध्यम से समझाया कि कैसे हम भ्रम में जीते हैं. जगत के फेर में बंधन है और श्री जगन्नाथ जी के फेर में मुक्ति है.महाराजश्री ने बच्चों को संस्कार सिखाने की सीख श्रोताओं को दी. सोना और लोहा, सत्संग और कुसंग की प्रवृत्ति को समझाते हुए संस्कारवान बच्चे तैयार करने को कहा. मम्मी-पापा जैसे उदबोधन की जगह माँ- मैया, बाबूजी-पिताजी जैसे शब्द माता-पिता के लिये उपयोग करने को कहा. दहेज को समाजिक बुराई बताते इससे दूर रहने की सलाह भी दिये. उन्होंने शिक्षा के विषय में चर्चा करते हुए पूछा कि आप शिक्षित हैं यह अच्छी बात है पर इससे आपके परिवार, समाज, देश को क्या मिला? आपने उन्हें क्या दिया? उन्होंने स्वयं अपनी शिक्षा-दीक्षा का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए बताया कि वे किस तरह समाज, देश की सेवा कर रहे हैं. अयोध्याधाम में पांच वर्षीय प्रभु श्री रामलला की स्थापना पर…आ दर्शन दे गोदी पर, तुझको निहार लूं….! सुमधुर संगीतमय भजन सुनाया.
उन्होंने बताया कि श्री कृष्ण माखन चोर हैं परंतु माखन से तात्पर्य चित्त से है. श्री कृष्ण जी चित्त चोर हैं.
प्रभु श्रीराम जी के जीवन का स्मरण करते हुए माता सीता का अग्नि में समाना, माता सीता की जगह माता बेदबती के हरण का वृतांत भी श्रद्धालुओं को सुनाया. कृष्णा बाजारी परिवार द्वारा श्री गौरी-गोपाल जी की 56 भोगों से विशेष आरती की गई.