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Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में 47 डिग्री के पार पहुंचा पारा, पढ़े पूरी खबर…

WEATHER: गर्मी के दिनों में सूरज की तेज तपिश ने सुबह के समय को कम कर दिया है. सुबह नौ बजे ही पारा चढ़ने लग रहा है. मई महीने में सुबह नौ बजे मैक्सिमम टेंप्रेचर की बात करें तो 29 मई को 37 डिग्री दर्ज किया गया. ऐसे में सुबह नौ बजे ही घर से बाहर निकलने पर तेज धूप जलाने लग रही है. इसके अलावा दिन चढ़ने पर 11 बजे टेंप्रेचर 40.4 डिग्री था. एक्सपर्ट्स का कहना है कि बीते 15-20 साल पहले जो टेंप्रेचर सुबह के 11 बजे होता था वह अब नौ बजे होने लगा है. इसका सीधा सा कारण ग्लोबल वार्मिंग है.

ग्लोबल वार्मिंग कारण
मौसम विशेषज्ञ के मुताबिक ग्लोबल वार्मिंग ने मौसम का पैटर्न बदल दिया है. हमारी रोजमर्रा की आदतें, पराली जलाने, दुनिया में चल रहे युद्ध, व्हीकल्स, एयरकंडीशन, ग्रीन हाउस गैसेस का बढ़ना और प्री मानसून एक्टिविटी का कम होना ग्लोबल वार्मिंग के रीजन हैं. ग्रीन हाउसेज गैसों के बढ़ने से एक्सट्रीम वेदर कंडीशन पूरी दुनिया में बढ़ रही हैं. पिछले सालो में हुई अत्यधिक बारिश हो या अब भीषण गर्मी, अत्यधिक सर्दी यह सब इसके ही नतीजे हैं.

छत्तीसगढ़ में सुबह 9 बजे ही चढ़ा पारा
छत्तीसगढ़ में बीते 3-4 दिनों से पारा 47 डिग्री पहुंच रहा है। वहीं सुबह 9 से ही तापमान बढ़कर 38 डिग्री पहुंच रहा है. सुबह के वक्त लोगों को बाहर निकलकर काम निपटाने होते हैं, लेकिन 9 बजे से ही गर्मी के चलते लोगों को राहत की सुबह नहीं मिल पा रही है.

हीट आयलैंड बन रहे बड़े शहर
देश के बड़े शहरों में पेड़ों का कटना और कंक्रीट के जंगल डेवलप होने से टेंप्रेचर बढ़ रहा है. यहीं कारण है कि सुबह से 10 से 11 बजे तक ही टेंप्रेचर 39 से 40 डिग्री सेल्सियस के बीच पहुंच रहा है. ऐसे में सुबह से ही तेज गर्मी परेशान कर रही है, जिससे इंसान और जानवर दोनों को प्राब्लम हो रही है. इतना ही नहीं शहरों में पत्थरों के तपने से बीते दिनों रात के नौ बजे तक गर्म हवाएं महसूस हुई.

टेंप्रेचर कम करना है तो यह करना होगा
एक्सपर्ट्स के मुताबिक ऐसे में हम सभी को बड़ी संख्या में पौधरोपण और उनकी देखभाल करनी होगी. इसके अलावा कम दूरी में जाने के लिए साइकिल से या पैदल आना जाना शुरु करना होगा. फ्यूल कम जलने से कार्बन एमीशन कम होगा. एयर कंडीशन के यूज को कम करना होगा. इतना ही नहीं घरों के बाहर एक पौधे को बड़ा पेड़ लगाना होगा. ऐसे करने पर घर के अंदर और सड़क पर टेंप्रेचर में कमी आएगी. संभव हो तो बिजली के लिए सोलर पर डिपेंडेंसी बढ़ानी होगी. सोलर से बनने वाली बिजली से भी कार्बन एमीशन में कम होगा.

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