दंतेवाड़ा: बस्तर की आराध्या देवी मां दंतेश्वरी परिसर में जिला प्रशासन ने DMF फंड से RES विभाग को निर्माण एजेंसी बनाकर दंतेश्वरी कॉरिडोर, ज्योति क्लश, मन्दिरद्वार करोड़ों की लागत से कृष्णा इंटरप्राइजेस फर्म के ठेकेदार केतन पटेल से सभी काम निविदा दर से 10 प्रतिशत अधिक में करवाया जा रहा है।
इसमें टेंडर प्रक्रिया से लेकर गुणवत्ता और लागत पर भारी अनियमितता की खबर हरिभूमि.कॉम ने सबसे पहले प्रमुखता से उजागर की थी। इसके बाद इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए RES के ENC अरविंद राही को जांच का जिम्मा सौंपा गया। ENC अरविंद राही तकनीकी रूप से जानकारों की एक टीम लेकर मौके पर पहुंचे। वे मुआयना कर दस्तावेजों को खंगालकर टेंडर प्रक्रिया की सूक्ष्मता से जांच में लगे हुए हैं।
लाल पत्थरों से छिपा रहा कारनामा
इधर जैसे ही मंदिर कॉरिडोर मामले में जांच शुरू हुई है। पूरे मंदिर परिसर की दिवारों में महज 15 दिनों में ठेकेदार आनन-फानन में लाल पत्थर चिपका रहा है। इसके अलावा सीमेंट ईंट की जुड़ाई वाली चार दिवारी पर बिना प्लास्टर किए सीधे पत्थरों को चिपकाकर झूठी चमक-धमक दिखाने के लिए और जल्द से जल्द इन पर पर्दा डालने के लिए ठेकेदार काम कर रहा है।
न सिर्फ इतना ही DMF राशि के पैसों की बर्बादी के लिए मंदिर में बने कॉरिडोर के ऊपर मोटा कांक्रीट बेस कर उस पर भी लाल पत्थर बिछा दिया गया है। तकनीकी जानकारों ने बताया कि, पहले दीवारों पर प्लास्टर करना होता है उसके बाद पत्थरों को चिपकाकर उसे पानी से क्युरिंग कर मजबूती प्रदान करते हुए लगाया जाता है।
लाल पत्थर
निर्माण कार्य की गुणवत्ता से लेकर टेंडर प्रक्रिया सबकुछ विवादों में घिरा
दंतेश्वरी मंदिर कॉरिडोर काम को लेकर सरकार भी सख्त है। भाजपा सरकार ने तो अपने घोषणापत्र में ही DMF मद के माध्यम से दो वर्षों में हुए निर्माणकार्यों की जांच करवाने की घोषणा की है। सरकार के इस तरह के ठोस कदम को देखते हुए लगता है कि, आने वाले दिनों में दंतेवाड़ा जिले में भी भ्रष्ट अधिकारियों और ठेकेदारों पर कार्यवाही की गाज गिर सकती है।